दिल्ली सरकार ने शहर में कोंकणी अकादमी की स्थापना के लिए मंजूरी दी | Delhi govt approves setting up of Konkani Academy in the city

दिल्ली सरकार ने शहर में कोंकणी अकादमी की स्थापना के लिए मंजूरी दी

दिल्ली सरकार ने शहर में कोंकणी अकादमी की स्थापना के लिए मंजूरी दी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : January 8, 2021/1:53 pm IST

नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) दिल्ली मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय राजधानी में कोंकणी भाषा और संस्कृति के विकास और संवर्धन की खातिर शुक्रवार को कोंकणी अकादमी की स्थापना की मंजूरी दी।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के अंतर्गत अकादमी की स्थापना की जाएगी, ताकि दिल्ली के लोग समृद्ध कोंकणी संस्कृति, भाषा, साहित्य और लोक कलाओं से परिचित हो सके।’’

बयान में कहा गया, ‘‘नयी अकादमी को जल्द ही सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ एक कार्यालय स्थान आवंटित किया जाएगा।’’

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘कोंकणी बोलने वाले सभी लोगों को बधाई। कोंकणी भाषा को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली मंत्रिमंडल ने आज दिल्ली में कोंकणी अकादमी की स्थापना की मंजूरी दे दी है।’’

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हर भारतीय के दिल में गोवा का एक विशेष स्थान है।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार की कोंकणी अकादमी राजधानी में कोंकणी संस्कृति की सर्वश्रेष्ठ चीजों को सामने लाएगी।’’

कोंकणी एक इंडो-आर्यन भाषा है। कोंकणी मुख्य रूप से पश्चिमी तटीय क्षेत्र में रहने वाले कोंकणी लोगों की भाषा है। यह संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक तथा गोवा की राजकीय भाषा है।

दिल्ली सरकार ने 2019 में कला, संस्कृति और भाषा विभाग के अंतर्गत 14 नयी भाषा अकादमियों का गठन किया था।

हाल ही में, तमिल संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार ने एक तमिल अकादमी को भी अधिसूचित किया था।

आधिकारिक बयान में कहा गया है, “देश की राजधानी के तौर पर दिल्ली देश की विविध संस्कृतियों का सम्मिलन है। किसी भाषा अकादमी का उद्देश्य न केवल उस भाषा के बोलने वालों लोगों की जरुरतों को पूरा करना होता है, बल्कि इसे व्यापक जन तक पहुंचाना भी होता है।’’

बयान में कहा गया, “यह सांस्कृतिक विविधता को मजबूत करने का एक अवसर है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम लोगों को उनकी संस्कृति का सम्मान करते हुए उन्हें सम्मान, अपनापन और पहचान प्रदान करें।’’

उसमें कहा गया कि चूंकि पहले चरण में कई भाषाओं को शामिल किया गया, जबकि कुछ अन्य महत्वपूर्ण भाषाएँ हैं जिन्हें अगले चरण में शामिल करने की आवश्यकता है। कोंकणी भारत के सांस्कृतिक इतिहास का एक बहुत ही रोचक और महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

भाषा कृष्ण कृष्ण अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)