आंध्र प्रदेश में जिलों के पुनर्गठन में सामने आ रही दिक्कतें | Difficulties faced in restructuring of districts in Andhra Pradesh

आंध्र प्रदेश में जिलों के पुनर्गठन में सामने आ रही दिक्कतें

आंध्र प्रदेश में जिलों के पुनर्गठन में सामने आ रही दिक्कतें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : November 15, 2020/1:12 pm IST

अमरावती, 15 नवंबर (भाषा) आंध्र प्रदेश में प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को आधार बनाते हुए जिलों का पुनर्गठन कठिन होता जा रहा है क्योंकि इसमें भौगोलिक समेत कई प्रकार की विसंगतियां सामने आ रही हैं।

मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधनों का वितरण भी एक कठिन कार्य होता जा रहा है और इससे नए जिलों का निर्माण प्रभावित हो सकता है।

प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को आधार बनाकर किये जा रहे पुनर्गठन के बाद राज्य में जिलों की संख्या 13 से बढ़कर 25 होने की संभावना है।

वाईएसआर कांग्रेस ने 2019 के चुनाव से पहले इसका वादा किया था।

अरकू संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अभी चार जिलों में फैला है।

सरकार का प्रस्ताव है कि इसे दो नए जिलों में बांट दिया जाए, जिसके बाद जिलों की संख्या 26 हो जाएगी।

पुनर्गठन प्रक्रिया में कई दौर की बातचीत के बाद राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति दुविधा की स्थिति में आ गई थी। उसके बाद इस मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार राजनीतिक नेतृत्व पर छोड़ दिया गया था।

प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों का कहना है कि राज्य में जिलों की संख्या प्रस्तावित 25-26 से अधिक भी हो सकती है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “तेलंगाना में जो कुछ भी हुआ वह आंध्र प्रदेश में भी हो सकता है। (राज्य के बंटवारे के बाद) शुरुआत में वे 20 जिले चाहते थे लेकिन 31 बने और बाद में 33 हो गए। कमोबेश हमें भी यही करना पड़ेगा।”

उन्होंने कहा कि पुनर्गठन की प्रक्रिया कठिन होती जा रही है इसलिए इसमें विलंब होगा और यह 31 मार्च, 2021 की प्रस्तावित तारीख से आगे भी जा सकती है।

सरकार की ओर से कहा गया था कि जिलों के पुनर्गठन का उद्देश्य प्रशासनिक कामकाज को आसान करना है क्योंकि वर्तमान में जिलों का आकार बहुत बड़ा है जिसके चलते प्रशासन चलाने में मुश्किल होती है।

भाषा यश अविनाश

अविनाश

 

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