महामारी से बैंकों की संपत्ति का वास्तविक मूल्य घटने, पूंजी की कमी होने का जोखिम: दास | Epidemic reduces real value of banks' assets, risks capital crunch: Das

महामारी से बैंकों की संपत्ति का वास्तविक मूल्य घटने, पूंजी की कमी होने का जोखिम: दास

महामारी से बैंकों की संपत्ति का वास्तविक मूल्य घटने, पूंजी की कमी होने का जोखिम: दास

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : January 11, 2021/2:38 pm IST

मुंबई, 11 जनवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महामारी के कारण बैंकों में बही-खातों में संपत्ति का मूल्य घट सकता है और पूंजी की कमी हो सकती है। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि खासतौर से नियामकीय राहतों को वापस लेने के साथ यह जोखिम हो सकता है।

दास ने छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) की भूमिका में लिखा है कि नकदी स्थिति आसान होने और वित्तीय स्थिति बेहतर होने से बैंकों का वित्तीय मानदंड सुधरा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि लेखांकन के स्तर पर उपलब्ध आंकड़े बैंकों में दबाव की स्पष्ट तस्वीर को नहीं दिखाते हैं।

उन्होंने बैंकों से पूंजी बढ़ाने बढ़ाने के लिये मौजूदा स्थिति का उपयोग करने को कहा। साथ ही कारोबारी मॉडल में बदलाव लाने को कहा जो भविष्य में लाभकारी होगा।

आरबीआई ने कोविड-19 संकट के बीच लोगों को राहत देने के लिये कर्ज लौटाने को लेकर छह महीने की मोहलत दी जो अगस्त में समाप्त हो गई। बाद में कर्जदारों को राहत देने के लिये एक बारगी कर्ज पुनर्गठन की घोषणा की। कई बैंकों खासकर निजी क्षेत्र के बैंकों ने महामारी के शुरूआती दिनों में पूंजी जुटायी।

दास ने कहा कि राजकोषीय प्राधिकरणों को राजस्व की कमी का सामना करना पड़ रहा है और फलत: बाजार उधारी कार्यक्रम का विस्तार हुआ है। ‘‘इससे बैंकों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।’’

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्तीय बाजारों के कुछ क्षेत्रों और वास्तविक अर्थव्यवस्था के बीच का अंतर हाल के दिनों में बढ़ा है। उन्होंने आगाह करते हुए यह भी कहा कि वित्तीय परिसंपत्तियों का बढ़ा हुआ मूल्य वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है।

उन्होंने कहा कि बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों को इसका संज्ञान लेने की आवश्यकता है।

दास ने कहा कि महामारी से हमें नुकसान हुआ है, आगे आर्थिक वृद्धि और आजीविका बहाल करने का काम करना है और इसके लिये वित्तीय स्थिरता पूर्व शर्त है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

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