भारत की मनी लॉड्रिंग रोधक, आतंक के वित्तपोषण की व्यवस्था का एफएटीएफ आकलन अब अगले साल शुरू होगा | FATF assessment of India's anti-money laundering, terror financing regime will now begin next year

भारत की मनी लॉड्रिंग रोधक, आतंक के वित्तपोषण की व्यवस्था का एफएटीएफ आकलन अब अगले साल शुरू होगा

भारत की मनी लॉड्रिंग रोधक, आतंक के वित्तपोषण की व्यवस्था का एफएटीएफ आकलन अब अगले साल शुरू होगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : July 18, 2021/11:33 am IST

(नीलाभ श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) वैश्विक संगठन वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने भारत के धनशोधन रोधक कानून तथा आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने की व्यवस्था का आकलन फिर टाल दिया है। एफएटीएफ ने मौजूदा कोविड-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर यह कदम उठाया है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अब यह समीक्षा अगले साल की जाएगी।

पेरिस मुख्यालय वाले एफएटीएफ ने इस बारे में भारत की समीक्षा सितंबर-अक्टूबर, 2020 में करनी थी।

हालांकि, एफएटीएफ सचिवालय ने दुनियाभर में कोविड-19 महामारी फैलने के बाद इन तारीखों को बढ़ाकर इस साल फरवरी कर दिया था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि एफएटीएफ का परस्पर आकलन फरवरी, 2021 में होना था, जो नहीं हो पाया। अब इसे बढ़ाकर सितंबर, 2022 कर दिया गया है।

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अन्य अधिकारी ने कहा कि आकलन कैलेंडर में में बदलाव के बाद भारत के धनशोधन रोधक कानून तथा आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की व्यवस्था तथा संबंधित कानूनी रूपरेखा तथा इन उपायों का क्रियान्वयन करने वाली एजेंसियों का आकलन अगले साल सितंबर में शुरू होगा। एफएटीएफ के विशेषज्ञ फरवरी, 2023 में ऑनसाइट निरीक्षण करेंगे।

एफएटीएफ का पूर्ण सत्र अक्टूबर, 2023 में आयोजित होने की उम्मीद है। इसमें भारत के बारे में आकलन पर चर्चा होगी। ऑनसाइट निरीक्षण यानी फरवरी, 2023 के दस माह बाद परस्पर आकलन रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी।

एफएटीएफ एक वैश्विक मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाला नियामक है। यह किसी देश में आर्थिक तथा वित्तीय अपराधों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानदंड तय करता है।

भारत की मनी लांड्रिंग रोधक और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की व्यवस्था की अंतिम बार समीक्षा जून, 2010 में हुई थी। सामान्य तौर पर 10 साल बाद ऐसी समीक्षा फिर होती है।

भाषा अजय अजय मनोहर

मनोहर

 

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