फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड छह योजनाएं बंद करने को लेकर पहुंची उच्चतम न्यायालय | Franklin Templeton Mutual Fund reaches Supreme Court over closure of six schemes

फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड छह योजनाएं बंद करने को लेकर पहुंची उच्चतम न्यायालय

फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड छह योजनाएं बंद करने को लेकर पहुंची उच्चतम न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : November 23, 2020/4:31 pm IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड ने अपनी छह बांड-निवेश कोष योजनाओं को बंद करने के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील लगायी है। उच्च न्यायालय ने निवेशकों से पूर्व मंजूरी लिए बगैर कंपनी के छह ऋण कोष योजनाओं को बंद करने पर रोक लगा दी है।

फ्रेंकलिन टेम्पलटन के अध्यक्ष संजय सप्रे ने निवेशकों को लिखे एक पत्र में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद म्यूचुअल फंड कंपनी ने पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम समय और क्रमानुसार निवेशकों को धन लौटाने के सभी संभव विकल्पों पर विचार किया। इसमें निवेशकों की सहमति लेने का विकल्प भी शामिल है।

सप्रे ने कहा, ‘‘ काफी गहन विचार-विमर्श के बाद हम इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि निवेशकों के हित में कानून का उपयुक्त अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय से आवश्यक न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा क्योंकि इन कदमों को बहुत सावधानी से सोच-समझकर उठाने की जरूरत है। ताकि निवेशकों का धन जल्द से जल्द और प्रतिभूतियों को दबाव में आए बिना बेचकर लौटाना सुनिश्चित हो सके।’’

अक्टूबर में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि फ्रेंकलिन टेम्पलटन ट्रस्टी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के छह योजनओं को बंद करने का निर्णय निवेशकों की मंजूरी लिए बगैर लागू नहीं किया जा सकता।

फ्रेंकलिन टेम्पलटन की ये छह योजनाएं ‘फ्रेंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड’, ‘फ्रेंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बांड फंड’, ‘फ्रेंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान’, ‘फ्रेंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड’, ‘फ्रेंकलिन इंडिया डायनामिक एक्यूरल फंड’ और ‘फ्रेंकलिन इंडिया इनकम अपॉरच्युनिटी फंड’ हैं।

कंपनी ने बांड बाजार में नकदी की कमी की बात कहते हुए 23 अप्रैल को इन छह योजनाओं को बंद कर दिया जिसका विरोध हो रहा है।

भाषा शरद मनोहर

मनोहर

 

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