पटना, दो मार्च (भाषा) बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार अगले पांच साल में हर खेत को पानी उपलब्ध कराएगी।
विधानसभा में मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अपने विभाग के 4,074.38 करोड़ रुपये की बजटीय मांग पर चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए संजय ने कहा, ‘‘राज्य सरकार हर खेत में पानी उपलब्ध कराएगी और राज्य के लोग जानते हैं कि अगर उन्होंने (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने) हर खेत को पानी उपलब्ध कराने का वादा किया है। ऐसे में अगले पांच साल में हर खेत को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण 18 जनवरी को शुरू हुआ जिसे 100 दिनों के भीतर पूरा किया जाएगा। सर्वेक्षण अपनी मूल्यांकन क्षमता का आकलन करने के लिए किया जा रहा है।
संजय ने कहा कि विभाग ने इस उद्देश्य के लिए ‘सिंचाई निश्चय’ नाम से वेबसाइट और मोबाइल ऐप तैयार किया है। सर्वेक्षण टीम में जल संसाधन, लघु सिंचाई, कृषि, पंचायती राज और ऊर्जा सहित पांच विभागों के अधिकारी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक, पर्यटन और धार्मिक महत्व के चारों शहरों राजगीर, बोधगया, गया और नवादा में पाइप पेयजल उपलब्ध कराने की दृष्टि से गंगा वाटर लिफ्ट योजना के तहत 148.77 किलोमीटर पाइपलाइन लगाया जाएगा। इस पाइपलाइन में से 65.72 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है जो परियोजना का लगभग 48 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि राजगीर, बोधगया और गया में पहले चरण में इस साल सितंबर के अंत तक पाइपलाइन के माध्यम से पानी की आपूर्ति शुरू होगी जबकि नवादा को परियोजना के तहत दूसरे चरण में शामिल किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत गंगा के पानी को मानसून के चार महीनों के दौरान विभिन्न जलाशयों में जमा किया जाएगा और पाइपलाइन द्वारा उसकी आपूर्ति की जाएगी।
उन्होंने कहा कि राजगीर, बोधगया और गया के लिए जल उपचार संयंत्र स्थापित करने के लिए काम चल रहा है।
मंत्री ने कहा कि गया शहर स्थित विष्णुपद मंदिर के पास फल्गु नदी, जहां देश और विदेश से लोग बड़ी संख्या में पिंड दान के लिए एकत्रित होते हैं, में पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सरकार एक रबड़ बांध का निर्माण कर रही है।
उन्होंने कहा कि यह राज्य में अपनी तरह का पहला रबड़ बांध होगा। परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया है और 266 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अक्टूबर 2023 तक पूरा हो जाएगा।
संजय ने कहा कि कोसी और मेची नदी को जोड़ने वाली परियोजना को तकनीकी सलाहकार समिति और भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2019 में मंजूरी दे दी है और जल शक्ति मंत्रालय ने 8 दिसंबर, 2020 को निवेश अनापत्ति की भी मंजूरी दे दी है।
उन्होंने इंटरलिंकिंग परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय संचालन समिति ने परियोजना को 24 नवंबर, 2020 को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में लेने की सिफारिश की है।
संजय ने कहा कि यदि 4,900 करोड़ रुपये की कोसी-मेची नदी इंटरलिंकिंग परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया जाता है तो परियोजना का अधिकांश धन केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि परियोजना से ना केवल उत्तर बिहार में बाढ़ को रोका जा सकेगा बल्कि सीमांचल क्षेत्र अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार जिलों में 2.14 लाख हेक्टेयर से अधिक खेती योग्य भूमि को सिंचित किया जाएगा।
विपक्षी सदस्यों ने मंत्री के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए बिहार विधानसभा से बहिर्गमन किया। इसी बीच सदन ने जल संसाधन विभाग के इस बजटीय मांग को ध्वनि मत से पारित कर दिया ।
भाषा अनवर अर्पणा
अर्पणा
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