कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच उद्योगों के समक्ष कच्चे माल की ऊंची लागत सबसे बड़ी चुनौती: अध्ययन | High raw material costs biggest challenge for industries amid second wave of Corona virus: study

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच उद्योगों के समक्ष कच्चे माल की ऊंची लागत सबसे बड़ी चुनौती: अध्ययन

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच उद्योगों के समक्ष कच्चे माल की ऊंची लागत सबसे बड़ी चुनौती: अध्ययन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : June 7, 2021/1:38 pm IST

नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) उद्योग जगत ने कहा है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच कच्चे माल की बढ़ती लागत उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। उनका कहना है कि आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिये व्यापक प्रोत्साहन दिये जाने की आवश्यकता है। यह समय की जरूरत है। उद्योगों ने यह भी कहा है कि कर्मचारियों का टीकाकरण उनकी प्रमुख रणनीतिक योजना है।

देश के प्रमुख उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर द्वारा अप्रैल और मई 2021 के बीच किये गये त्वरित सर्वेक्षण के परिणाम में यह बातें सामने आईं हैं। इसमें सूक्ष्म, लघु, मध्यम और बड़े उद्योग प्रतिनिधियों से राय ली गई है। सर्वेक्षण उद्योगों के 34 क्षेत्रों में किया गया।

सर्वेक्षण में भाग लेने वाले उद्यमियों में से 73 प्रतिशत ने कहा है कि कच्चे माल की बढ़ती लागत उनके लिये सबसे बड़ी चुनौती है, वहीं 73 प्रतिशत ने मौजूदा स्थिति का मुकाबला करने के लिये अपने कर्मचारियों के टीकारण को सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक योजना बताया। 64 प्रतिशत ने बिक्री कारोबार बढ़ाने और परिचालन बढ़ाने पर भी ध्यान देने की बात कही। 64 प्रतिशत ने कहा कि वह कारोबार परिचालन की लागत में कमी करेंगे। सर्वेक्षण में 47 प्रतिशत लोगों ने सरकार के राहत उपायों को दस में से सात नंबर दिये जबकि 42 प्रतिशत ने टीकाकरण कार्यक्रम को 10 में से 6 नंबर दिये।

उद्योग जगत का मानना है कि इसके साथ ही कई अन्य तरह की चुनौतियां भी उनके समक्ष हैं। 64 प्रतिशत ने कहा कार्यशील पूंजी की उपलब्धता की भी समस्या है। मूल्य- लागत मार्जिंस अथवा मुनाफा बनाये रखने को 63 प्रतिशत ने बड़ी चुनौती बताया है। 62 प्रतिशत ने कहा मांग कमजोर पड़ रही है, 61 प्रतिशत के मुताबिक पूरे कार्यबल को बनाये रखना भी मुश्किल हो रहा है। काम पर रखे गये कार्यबल की लागत को पूरा करना भी 60 प्रतिशत के लिये परेशानी है। 55 प्रतिशत मानते हैं कि कर्मचारियों के वेतन-भत्तों का भुगतान करना भी उनके लिये चुनौती है। वहीं 53 प्रतिशत के मुताबिक कर्ज की किस्त चुकाना समस्या है। 52 प्रतिशत के मुताबिक पूंजी की लागत और 51 प्रतिशत का कहना है कि अनुपालन लागत की समस्या है।

पीएचडी उद्योग मंडल के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि दफ्तर और दुकानें बंद होने से आर्थिक गतिविधियों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। आपूर्ति श्रृंखला गड़बड़ाने से जिंसों के दाम आसमान पर पहुंच गये जिसकी वजह से कारोना वायरस के इस कठिन समय में व्यवसायों की लागत मार्जिन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने सरकार से टीकाकरण अभियान में तेजी लाने का आग्रह किया है। इसके लिये घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने के साथ ही दूसरे देशों से आयात पर भी जोर दिये जाने को कहा है।

भाषा

महाबीर मनोहर

मनोहर

 

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