ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित, 10 रिपब्लिकन ने भी दिया डेमोक्रेट सदस्यों का साथ | House of Representatives passes impeachment motion against Trump, 10 Republicans also gave up with Democrat members

ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित, 10 रिपब्लिकन ने भी दिया डेमोक्रेट सदस्यों का साथ

ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित, 10 रिपब्लिकन ने भी दिया डेमोक्रेट सदस्यों का साथ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:15 PM IST, Published Date : January 14, 2021/3:00 pm IST

वाशिंगटन, 14 जनवरी (भाषा) अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति हो गये हैं, जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया गया है। पिछले सप्ताह कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में हुई हिंसा को भड़काने को लेकर उन्हें आरोपित करने की कार्यवाही में 10 रिपब्लिकन सांसदों ने भी अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेट सदस्यों का साथ दिया। डेमोक्रेटिक पार्टी के नियंत्रण वाली प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को 197 के मुकाबले 232 मतों से पारित किया था। रिपब्लिकन लिज चेनी सहित पार्टी के 10 सांसदों ने भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही में डेमोक्रेट सदस्यों का साथ दिया। इस महाभियोग प्रस्ताव में निर्वतमान राष्ट्रपति ट्रंप पर अपने बयानों के जरिए छह जनवरी को समर्थकों को ‘‘ विद्रोह के लिए उकसाने’’ का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग (संसद भवन) की घेराबंदी करने के लिए तब उकसाया, जब वहां निर्वाचक मंडल के मतों की गिनती चल रही थी और उनके समर्थकों के धावा बोलने की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हुई। इस घटना में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई।

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अब महाभियोग प्रस्ताव को अब सीनेट में भेजा जाएगा, जो ट्रंप को पद से हटाने के लिए सुनवाई करेगी और मतदान करेगी। सीनेट 19 जनवरी तक के लिए स्थगित है। इसके एक दिन बाद 20 जनवरी को जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। भारतीय मूल के चारों अमेरिकी सांसदों एमी बेरा, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल ने महाभियोग के समर्थन में मतदान किया। इससे पहले, प्रतिनिधि सभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित करके देश के निवर्तमान उपराष्ट्रपति माइक पेंस से अपील की थी कि वह निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पद से हटाने के लिए 25वां संशोधन लागू करें।

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हालांकि, पेंस ने ट्रंप को उनके पद से हटाने के लिए 25 वें संशोधन को लागू करने से मंगलवार को इनकार कर दिया था। ट्रंप को अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले व्हाइट हाउस नहीं छोड़ना पड़ेगा, क्योकि सीनेट का नियमित सत्र अभी नहीं चल रहा है और नियमित सत्र से पहले सत्र आरंभ करने के लिए सीनेट को सर्वसम्मति की आवश्यकता होगी। यह संशोधन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की हत्या के मद्देनजर 50 साल से अधिक समय पहले पारित किया गया था। यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर सेवा देने के लिए उपयुक्त नहीं रह जाता, तो उसकी जगह किसी और की नियुक्त किए जाने का प्रावधान करने के लिए इस संशोधन का उपयोग किया जाता है।

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ट्रंप के अलावा राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने वाले जिन नेताओं के खिलाफ महाभियोग चलाया गया था, जिनमें एंड्रियू जॉनसन (1868) और बिल क्लिंटन (1998) शामिल हैं, लेकिन किसी को दोषी नहीं करार दिया गया। संसद के निचले सदन में कई घंटों की चर्चा के बाद मतदान हुआ था और नेशनल गार्ड के सैनिकों को कैपिटल के अंदर और बाहर तैनात रखा गया था। प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने हमारे देश के खिलाफ यह सशस्त्र विद्रोह भड़काया। उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए।’’ शीर्ष डेमोक्रेट नेता ने कहा , ‘‘वह (ट्रंप) राष्ट्र के लिए एक स्पष्ट और मौजूदा खतरा हैं। ’’

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पेलोसी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि राष्ट्रपति को सीनेट द्वारा अवश्य ही दोषी ठहराया जाना चाहिए,यह एक संवैधानिक कदम है जो यह सुनिश्चित करेगा कि इस व्यक्ति से गणराज्य (देश) सुरक्षित रहेगा जो हमारी साझा विरासत को तहस-नहस करने को आमादा है। ’’ महाभियोग प्रस्ताव में कहा गया है कि ट्रंप ने बार-बार झूठे बयान जारी करते हुए इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में गडबड़ी हुई है और इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका की सुरक्षा और सरकार नाम की संस्था को गंभीर खतरे में डाल दिया, लोकतांत्रिक प्रणाली की सत्यनिष्ठा को खतरा पैदा किया और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण में हस्तक्षेप किया। ’’

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इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने उम्मीद जताई कि सीनेट अन्य अहम मुद्दों पर काम करते हुए ट्रंप के खिलाफ महाभियोग कार्यवाही करने में सक्षम रहेगी। डेमोक्रेटिक नेता बाइडन ने रिपब्लिकन नेता ट्रंप के खिलाफ प्रतिनिधि सभा में महाभियोग प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद एक बयान में कहा, ‘‘यह आपराधिक हमला पूर्वनियोजित और समन्वित था। इसे उन राजनीतिक अतिवादियों और घरेलू आतंकवादियों ने अंजाम दिया, जिन्हें ट्रंप ने भड़काया था। यह अमेरिका के खिलाफ सशस्त्र राजद्रोह था और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।’’

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बाइडन ने कहा कि प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने अमेरिकी संविधान के तहत उन्हें मिले अधिकार का इस्तेमाल किया और राष्ट्रपति को जवाबदेह बनाने एवं उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए मतदान किया। बाइडन ने कहा, ‘‘हमारा देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है और अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ा है। मुझे उम्मीद है कि सीनेट का नेतृत्व इस देश के लिए आवश्यक मामलों पर काम करते हुए महाभियोग की सुनवाई करेगा।’’ जब प्रतिनिधि सभा में महाभियोग संबंधी कार्यवाही चल रही थी, तब ट्रंप ने बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह से पहले देशभर में हथियारबंद हिंसा की आशंकाओं के बीच अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की।

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ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान में कहा, ‘‘और प्रदर्शन हो सकने की खबरों के मद्देनजर, मैं अपील करता हूं कि कोई हिंसा न हो, कोई कानून न तोड़ा जाए और किसी प्रकार की तोड़-फोड़ न की जाए।’’ सदन में बहुमत के नेता स्टेनी होयर ने कहा कि राष्ट्रपति ने जो काम किया, उसके खिलाफ संसद की ओर से तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैकोनल ने यह नहीं बताया कि सदन में सुनवाई किस तारीख को होगी, लेकिन उन्होंने एक बयान में कहा कि बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ऐसा होने की संभावना नहीं है।

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इससे पहले, प्रतिनिधि सभा ने 18 दिसंबर, 2019 में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोप को पारित किया था, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था। उस दौरान आरोप लगाए गए थे कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर दबाव डाला कि वे बाइडन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार के दावों की जांच करवाएं। डेमोक्रेटिक सांसदों के पास ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त मत है, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं के पास 50 के मुकाबले 51 का मामूली अंतर से बहुमत है। सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए दो तिहाई सदस्यों के मतों की आवश्यकता होती है।