एलोपैथी पर टिप्पणी के लिए आईएमए ने रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, पतंजलि ने दी सफाई | IMA demands action against Ramdev for remarks on allopathy, Patanjali clarifies

एलोपैथी पर टिप्पणी के लिए आईएमए ने रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, पतंजलि ने दी सफाई

एलोपैथी पर टिप्पणी के लिए आईएमए ने रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, पतंजलि ने दी सफाई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : May 22, 2021/7:02 pm IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने शनिवार को केन्द्र सरकार से मांग किया कि ‘अज्ञानता भरी’’ टिप्पणी करके कथित रूप से लोगों को भ्रमित करने और एलोपैथी दवाओं को ‘‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’’ बताने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, वहीं हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने इस टिप्पणी से इंकार करते हुए इसे ‘गलत’ बताया।

एलोपैथी दवाओं को लेकर रामदेव के बयान पर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने शनिवार को पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है। पुलिस को दी गई शिकायत के साथ सौंपे गए बयान में डीएमए ने आरोप लगाया है, ‘‘संकट की इस घड़ी में पूरा देश महामारी के खिलाफ लड़ रहा है, अपना और अपने परिवार की जान जोखिम में डाल रहा है, जो संसाधन हैं, उन्हीं के बल पर मुकाबला कर रहा है। बाबा रामदेव ने निजी हित के लिए मेडिकल साइंस (चिकित्सा विज्ञान) और मेडिकल पेशे (डॉक्टरी और अन्य संबद्ध पेशे) की धज्जियां उड़ायी हैं।’’

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, डीएमए ने दरियागंज थाने में शिकायत दी है। अधिकारी ने बताया, ‘‘हमें शिकायत मिली है और जांच की जा रही है।’’

वहीं, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी रामदेव के बयान की निंदा की है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का हवाला देते हुए आईएमए ने कहा कि रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’ है और भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए मंजूर की गई रेमडेसिविर, फेवीफ्लू तथा ऐसी अन्य दवाएं बीमारी का इलाज करने में असफल रही हैं। आईएमए के अनुसार, रामदेव ने कहा कि ‘‘एलोपैथी दवाएं लेने के बाद लाखों की संख्या में मरीजों की मौत हुई है।’’

डॉक्टरों की शीर्ष संस्था ने एक बयान में कहा कि रामदेव पर महामारी रोग कानून के तहत मुकदमा चलाना चाहिए क्योंकि ‘‘अज्ञानता भरे’’ बयान ‘‘देश के शिक्षित समाज के लिए एक खतरा है और साथ ही गरीब लोग इसका शिकार हो रहे हैं।’’

आईएमए ने कहा, ‘‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (हर्षवर्धन), जो खुद आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी के डॉक्टर रह चुके हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख हैं, वे या तो इन सज्जन की चुनौती और आरोप स्वीकार करें और आधुनिक चिकित्सा की सुविधा भंग कर दें या ऐसी अवैज्ञानिक बातों से लाखों लोगों को बचाने के लिए उन पर महामारी कानून के तहत मुकदमा दर्ज करें।’’

आईएमए ने कहा कि उसने रामदेव को कानूनी नोटिस भेजकर ‘लिखित माफी मांगने’ और ‘बयान वापस लेने’ को कहा है।

विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए पतंजलि योगपीठ ने एक बयान जारी कर टिप्पणी का खंडन किया है और कहा है कि ‘‘यह स्पष्ट किया गया है कि वीडियो का संपादित किया गया संस्करण स्वामी जी द्वारा दिए जा रहे संदर्भ से अलग है।’’

आचार्य बाल कृष्ण के हस्ताक्षर के जारी बयान के अनुसार, महामारी काल में रात-दिन कठिन परिश्रम कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का रामदेव पूरा-पूरा सम्मान करते हैं।

बयान के अनुसार, ‘‘स्वामी जी की आधुनिक विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति से चिकित्सा करने वालों के खिलाफ कोई गलत मंशा नहीं है। उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाया जा रहा है वह गलत व निरर्थक है।”

आईएमए ने यह भी आरोप लगाया कि रामदेव स्थिति का फायदा उठाने और व्यापक पैमाने पर लोगों के बीच डर तथा आक्रोश पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

आईएमए ने कहा कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं ‘‘ताकि वह अपनी गैरकानूनी और गैर मान्यता प्राप्त तथाकथित दवाएं बेच सकें और लोगों की जान की कीमत पर पैसा कमा सकें।’’

उसने कहा, ‘‘आईएमए मांग करती है और यह संकल्प लेती है कि अगर मंत्री (हर्षवर्धन) स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हमें आम आदमी के समक्ष सच्चाई लाने के लिये लोकतांत्रिक माध्यमों का सहारा लेना पड़ेगा और न्याय पाने के लिए न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।’’

एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा, ”हम चिकित्सा बिरादरी, स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों की ओर से उनके खिलाफ जल्द से जल्द से कड़ी कार्रवाई की मांग कर करते हैं।”

एसोसिएशन ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि झूठी जानकारी फैला रहे इस तरह की वीडियो पर लगाम लगाई जाए।

एसोसिएशन ने कहा, ‘‘ रामदेव के खिलाफ महामारी अधिनियम, 1987 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिये। हम उनसे बिना शर्त माफी मांगने की मांग करते हैं। ऐसा न होने पर हम विरोध प्रदर्शन का आह्वान करेंगे।’’

सफदरजंग अस्पताल के आरडीए ने कहा कि रामदेव के बयान को ‘नफरती बयान” माना जाना चाहिये।

अस्पताल के आरडीए ने एक बयान में कहा, ”रामदेव बाबा के बयान को नफरत फैलाने वाला माना जाना चाहिये। हम संबंधित अधिकारियों से उनके खिलाफ महामारी रोग अधिनियम, 1987 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की मांग करते हैं। हम रामदेव से मांग करते हैं कि वह एलोपैथी की प्रैक्टिस करने वालों से बिना शर्त माफी मांगें।”

भाषा अर्पणा प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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