तोक्यो, 22 जुलाई (एपी) ओलंपिक फुटबॉल खिलाड़ियों के घुटने टेकने की छवियों (तस्वीरों और वीडियो) को आधिकारिक मुख्यांश और सोशल मीडिया चैनलों पर जगह नहीं देने के बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने गुरुवार को कहा कि वह भविष्य में इस मंच पर इन चीजों को जगह देगा।
ओलंपिक स्पर्धाएं शुरू होने के पहले दिन बुधवार को महिला फुटबॉल की पांच टीमों के खिलाड़ी नस्लीय अन्याय के विरोध में मैच से पहले मैदान में घुटने के बल बैठी थी। ओलंपिक खेलों में पिछले कई दशकों से ऐसे विरोध पर प्रतिबंध है लेकिन इस बार इसकी अनुमति दी गई।
खिलाड़ियों को ओलंपिक चार्टर के नियम 50 के तहत छूट दी गयी है। इस नियम में आयोजन स्थलों के अंदर किसी भी एथलीट के विरोध को प्रतिबंधित किया है, लेकिन इस महीने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा इसकी अनुमति दी गई थी।
आईओसी ने 1968 के मैक्सिको सिटी ओलंपिक में मेडल पोडियम पर काले दस्ताने के साथ मुट्ठी उठा कर विरोध दर्ज करने वाले अमेरिकी धावकों टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस की घटना को ध्यान में रखते हुए यह छूट दी है।
नये दिशानिर्देशों में मैच या रेस से पहले घुटने टेकने या मुट्ठी उठाने की अनुमति है लेकिन पदक समारोह पोडियम पर खिलाड़ियों को ऐसा करने की छूट नहीं होगी। आईओसी पोडियम पर विरोध करने वाले एथलीटों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी।
बुधवार को ब्रिटेन और चिली की महिला फुटबॉल टीमों ने मैच से पहले घुटने के बल बैठ कर नस्लवाद के खिलाफ विरोध जताया था। इसके बाद अमेरिका, स्वीडन और न्यूजीलैंड की टीमों ने भी ऐसा ही किया।
उन छवियों को आईओसी द्वारा मीडिया को प्रदान किए गए आधिकारिक तोक्यो ओलंपिक हाइलाइट पैकेज से बाहर रखा गया था। आधिकारिक ओलंपिक सोशल मीडिया चैनलों ने भी खिलाड़ियों की इन तस्वीरों को साझा नहीं किया गया था।
ओलंपिक निकाय ने गुरुवार को नीति में बदलाव करते हुए कहा, ‘‘ आईओसी खेलों को अपने स्वामित्व वाले और संचालित प्लेटफॉर्म पर कवर कर रही है और उसमें अब ऐसे क्षणों को भी शामिल किया जाएगा।’’
एपी आनन्द मोना
मोना
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