भारत का डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों से बौद्धिक संपदा छूट प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने का आग्रह | India urges WTO member states to reach consensus on intellectual property exemption proposal

भारत का डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों से बौद्धिक संपदा छूट प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने का आग्रह

भारत का डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों से बौद्धिक संपदा छूट प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने का आग्रह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : March 2, 2021/12:11 pm IST

नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देशों से कोविड-19 संकट से निपटने के लिये बौद्धिक संपदा पर बहुपक्षीय समझौते के कुछ प्रावधानों से छूट देने के प्रस्ताव पर सहमति बनाने का आग्रह किया है। भारत ने कहा कि ऐसे समय जब, महामारी के कारण लाखों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा, हम अंतहीन चर्चा करते नहीं रह सकते।

डब्ल्यूटीओ में राजदूत और भारत के स्थायी प्रतिनिधि ब्रजेन्द्र नवनीत ने एक मार्च को आम परिषद की बैठक में कहा कि सभी सदस्य देशों के समन्वित प्रयास की जरूरत है ताकि यह सुनश्चित हो सके कि विश्व व्यापार संगठन केविड-19 संकट को जड़ से समाप्त करने में सार्थक योगदान दे सकता है और संकट की घड़ी में वास्तव में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अक्टूबर 2020 में डब्ल्यूटीओ के समक्ष एक प्रस्ताव रखा था। इसमें कोविड-19 महामारी से बचाव, रोकथाम या इलाज के संदर्भ में संगठन के सभी सदस्य देशों के लिये व्यापार संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों (ट्रिप्स) के कुछ प्रावधानों से छूट दिये जाने की बात कही गयी थी।

ट्रिप्स जनवरी 1995 में प्रभाव में आया। यह बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों पर एक बहुपक्षीय समझौता है। इसमें कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन, पेटेंट और अघोषित सूचना या व्यापार गोपनीयता का संरक्षण शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि प्रावधानों से छूट को लेकर खुली चर्चा हुई है। इसमें छूट की अवधि और दायरा शामिल हैं।

नवनीत ने कहा, ‘‘हम सदस्य देशों से छूट प्रस्तावों पर आम सहमति बनाने का आग्रह करते हैं ताकि कोविड-19 की रोकथाम से जुड़े उत्पादों का निष्पक्ष, समान और किफयाती दरों पर पहुंच समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित किया जा सके।’’

उन्होंने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय कोविड-19 टीकों की विकासशील अर्थव्यवस्था तक पहुंच सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को 9,200 अरब डॉलर का नुकसान पहुंच सकता है।

नवनीत ने कहा कि टीका आने के तीन महीने बाद भी वैश्विक टीकाकरण परिदृश्य मजबूत नहीं दिख रहा।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने हाल में संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि टीकाकरण की प्रगति असंतुलित और निष्पक्ष नहीं है। अभी 130 से अधिक देशों को टीके की एक भी खुराक नहीं मिली है।

उन्होंने कहा कि छूट से न केवल अमूल्य मानव जीवन को बचाने में मदद मिलेगी बल्कि इससे अर्थव्यवस्था में ग्राहकों के बीच एक भरोसा भी बढ़ेगा तथा विश्व व्यापार और वैश्विक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में पुनरूद्धार की गति तेज होगी।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

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