भारत की घरेलू चुनौतियां क्षेत्रीय और वैश्विक महत्वाकांक्षा की राह में बाधा : अमेरिकी थिंक टैंक | India's domestic challenges hinder regional and global ambitions: US think tank

भारत की घरेलू चुनौतियां क्षेत्रीय और वैश्विक महत्वाकांक्षा की राह में बाधा : अमेरिकी थिंक टैंक

भारत की घरेलू चुनौतियां क्षेत्रीय और वैश्विक महत्वाकांक्षा की राह में बाधा : अमेरिकी थिंक टैंक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : June 11, 2021/6:20 am IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 11 जून (भाषा) अमेरिका के एक थिंक टैंक का मानना है कि कोविड-19 संकट के कारण भारत की घरेलू चुनौतियां उसकी क्षेत्रीय एवं वैश्विक महत्वाकांक्षाओं की राह में बाधा बन गई हैं। साथ ही थिंक टैंक ने आगाह किया कि जब तक वह अमेरिका जैसे सहयोगी देशों की मदद से इस संकट से उबर नहीं लेता तबतक महामारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भूराजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

इसने कहा कि ऐसे में एशिया में एक अहम ताकत के तौर पर भारत का दर्जा बहाल कराने के लिए देश की मदद करना अमेरिका के बेहतर हित में है,खास तौर पर तब जबकि चीन अपना कद बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। ‘हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक’ ने कहा कि महमारी की शुरुआत में भारत ने अपने पड़ोसी देशों को चिकित्सकीय मदद पहुंचायी और 2021 के पहले तीन महीने में टीका कूटनीति का पालन किया जिसने भारत को एक क्षेत्रीय नेता के तौर पर पेश करने और भविष्य में एक वैश्विक ताकत के तौर पर उसके दावों को मजबूती देने में मदद की।

श्रीलंका और अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और हडसन शोधार्थी अपर्णा पांडे ने लिखा, ‘‘ऐसी उम्मीद थी कि भारत अपने दम पर चीन के ‘सॉफ्ट पावर’ का मुकाबला करने में सक्षम होगा। हालांकि अब भारत की घरेलू चुनौतियां ही उसकी क्षेत्रीय एवं वैश्विक महत्वाकांक्षाओं की राह में बाधा बन गयी हैं।’’ हक्कानी वर्तमान में हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के निदेशक हैं। पांडे थिंक टैंक में ‘इनिशिएटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया’ की निदेशक हैं।

हडसन द्वारा जारी संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘जब तक भारत अमेरिका जैसे सहयोगी देशों की मदद से इस संकट से उबर नहीं लेता तबतक महामारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भूराजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।’’ थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के पहले चरण में भारत ने क्षेत्रीय नेता की भूमिका निभायी। लेकिन सरकारी नेताओं द्वारा वैज्ञानिक सलाहकारों की सलाह को स्वीकार करने की अनिच्छा और वैक्सीन उत्पादन और वितरण में तेजी नहीं लाने ने भारत की स्थिति को गंभीर क्षति पहुंचाई है।

हक्कानी और पांडे ने लिखा कि कोविड-19 महामारी के करीब डेढ़ साल बाद दक्षिण एशिया में चीन की धमक पहले से कहीं अधिक बढ़ी है। पाकिस्तान और श्रीलंका दोनों ही चीन के कर्ज में डूबे हैं और महामारी के कारण उन्होंने चीन से भारी कर्ज लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका तथा इनके नेतृत्व वाली वित्तीय संस्थाओं के मालदीव और नेपाल की मदद नहीं करने की स्थिति में ये दोनों देश भी मदद के लिए चीन का रुख कर सकते हैं।’’

भाषा सुरभि शोभना

शोभना

 

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