भारत की पड़ोसी पहले, सागर, ‘फॉरवर्ड अफ्रीका’ नीतियों के लिए चौराहे जैसा है मॉरीशस :जयशंकर | India's neighbours first, Sagar, is a crossroads for 'Forward Africa' policies Mauritius :Jaishankar

भारत की पड़ोसी पहले, सागर, ‘फॉरवर्ड अफ्रीका’ नीतियों के लिए चौराहे जैसा है मॉरीशस :जयशंकर

भारत की पड़ोसी पहले, सागर, ‘फॉरवर्ड अफ्रीका’ नीतियों के लिए चौराहे जैसा है मॉरीशस :जयशंकर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : February 23, 2021/5:20 pm IST

पोर्ट लुई (मॉरीशस), 23 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को यहां प्रमुख कारोबारियों से कहा कि भारत की ‘पड़ोसी पहले’, ‘सागर’ और ‘फॉरवर्ड अफ्रीका’ नीतियों के लिए मॉरीशस एक चौराहे जैसा है।

जयशंकर, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के रणनीतिक रूप से इस महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी देश की यात्रा पर रविवार रात मालदीव से पहुंचे। वह दो देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में यहां आए हैं।

जयशंकर ने मॉरीशस के पूर्व उप प्रधानमंत्री जेवियर डुवाल से मुलाकात की और भारत-मॉरीशस के बीच जारी सहयोग पर चर्चा की।

उन्होंने मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम से भी मुलाकात की।

जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लेबर पार्टी के नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ नवीन रामगुलाम से मिला। भारत और मॉरीशस के लोगों के बीच करीबी दोस्ताना संबंधों एवं साझा मूल्य होने की बात दोहराई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पड़ोसी पहले, सागर और फॉरवर्ड अफ्रीका नीतियों के लिए मॉरीशस चौराहे जैसा है। सीईसीपीए आर्थिक अवसरों का जिक्र करता है। इस पर प्रमुख कारोबारियों और वित्त मंत्री रेंगानदेन पदायचे तथा वाणिज्य सचिव अनूप वधावन के साथ चर्चा की। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मॉरीशस, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख समुद्री पड़ोसी देश है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं संवृद्धि) दृष्टिकोण में एक विशेष स्थान रखता है। ’’

प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में मॉरीशस की यात्रा के दौरान नीली (समुद्री) अर्थव्यवस्था पर जोर देने के साथ ‘सागर’ शब्द दिया था।

भारत ने सोमवार को मॉरीशस के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग एवं साझेदारी समझौते (सीईसीपीए) पर हस्ताक्षर किए। किसी अफ्रीकी देश के साथ इस तरह का यह पहला समझौता है।

मॉरीशस की करीब 70 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल के लोगों की है। उनके पूर्वज ब्रिटिश शासन के दौरान वहां गिरमिटिया मजदूरों के तौर पर भेजे गये थे।

भाषा

सुभाष नरेश

नरेश

 

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