स्कूलों की तरफ से छात्रों को अंक देने में एकरूपता का अभाव : शिक्षक संगठन | Lack of uniformity in scoring students on behalf of schools: Teachers' Organisation

स्कूलों की तरफ से छात्रों को अंक देने में एकरूपता का अभाव : शिक्षक संगठन

स्कूलों की तरफ से छात्रों को अंक देने में एकरूपता का अभाव : शिक्षक संगठन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : July 22, 2021/8:51 am IST

कोलकाता, 22 जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल में कई शिक्षक संगठनों ने कहा है कि नौवीं कक्षा की परीक्षा में स्कूलों द्वारा अंक देने में एकरूपता की कमी के कारण अधिकांश छात्रों ने माध्यमिक (कक्षा 10) परीक्षा में उच्च अंक हासिल किए।

इस साल की माध्यमिक परीक्षा में 90 प्रतिशत से ज्यादा विद्यार्थियों ने प्रथम श्रेणी में अंक प्राप्त किए हैं और उत्तीर्ण प्रतिशत रिकॉर्ड 100 प्रतिशत रहा। वैश्विक महामारी की स्थिति के कारण इस साल माध्यमिक परीक्षा नहीं हुई और मूल्यांकन नौवीं कक्षा के लिए 2019 की परीक्षा में विद्यार्थी के प्रदर्शन और 10वीं कक्षा में प्रत्येक विषय के लिए आंतरिक मूल्यांकन के 50:50 के अनुपात पर आधारित था।

शिक्षक संगठनों ने इस बात पर भी चिंता जताई कि इतने सारे विद्यार्थियों को उच्च अंक प्राप्त होना और उत्तीर्ण प्रतिशत 100 फीसदी होने के कारण 11वीं कक्षा के लिए निर्धारित सीटों से ज्यादा छात्र पास आउट हो गए हैं।

आल बंगाल पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स वेल्फेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी चंदन गरई ने बुधवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि विद्यार्थियों को नौवीं कक्षा की परीक्षा में अंक देने में कई स्कूलों द्वारा सख्ती नहीं बरती जाने के पीछे कारण है और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ऐसी स्थिति में बहुत कुछ कर नहीं सकता क्योंकि उन्हें स्कूलों द्वारा भेजे गए अंकों को मानना ही होता।

गरई ने कहा, “विद्यार्थियों को जब कक्षा नौ में प्रोन्नत किया जाता है तब कई स्कूल मूल्यांकन में सख्त नहीं होते। यह प्रक्रिया 10वीं में कठिन हो जाती है। जब बोर्ड ने सद्भावना में कक्षा नौ की वार्षिक परीक्षा के अंकों और कक्षा 10वीं के विषयवार आंतरिक मूल्यांकन को बराबर महत्व देते हुए 50:50 के अनुपात की घोषणा की थी तो हमें यह डर था कि प्रत्येक विद्यार्थी को उसकी क्षमता के अनुरूप अंक नहीं मिलेंगे और यह सच साबित हुआ।”

उन्होंने कहा कि उभरती हुई स्थिति से उच्च माध्यमिक संस्थानों में सीटों की संख्या कम हो जाएगी क्योंकि 10 लाख से अधिक छात्र उत्तीर्ण हुए हैं जिसमें से नौ लाख से अधिक प्रथम श्रेणी प्राप्त कर चुके हैं और कम योग्यता वाले छात्रों को लाभ होगा।

भाषा

नेहा मनीषा

मनीषा

 

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