पिछले साल प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा देखकर राजनीति में आया : मनोज तिवारी | Last year, seeing the plight of migrant labourers, he entered politics: Manoj Tiwari

पिछले साल प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा देखकर राजनीति में आया : मनोज तिवारी

पिछले साल प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा देखकर राजनीति में आया : मनोज तिवारी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : May 2, 2021/2:39 pm IST

नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) मनोज तिवारी शुरू से राजनीति में जाने के बारे में सोचते थे लेकिन पिछले साल कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दशा देखकर उन्होंने आखिर में क्रिकेट के बजाय राजनीति का दामन थाम लिया।

तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी तिवारी ने बंगाल विधानसभा चुनावों में शिबपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के रथिन चक्रवर्ती को 6000 से अधिक मतों से हराया।

बंगाल के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक तिवारी ने पीटीआई -भाषा से अपनी प्राथमिकताओं के बारे में कहा, ‘‘मेरे क्षेत्र में प्रभावी कोविड-19 प्रबंधन, जागरूकता बढ़ाना तथा और अपने क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित रखना। यह मेरा पहला काम होगा और यह चुनौती है।’’

तिवारी को विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी जीत का पूरा भरोसा था।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन चुनावों के लिये अच्छी तरह से तैयार था और मैंने जीत के लिये कड़ी मेहनत की थी। मैं जानता हूं कि राजनीति आसान काम नहीं है और एक अलग क्षेत्र से जुड़े रहे नये व्यक्ति के लिये यह अधिक मुश्किल हो जाती है। मैंने शिबपुर में घर घर जाकर प्रचार किया। वे मेरे इरादों से वाकिफ थे। ’’

तिवारी ने स्वीकार किया कि घरेलू क्रिकेट में अच्छा करियर होने के बावजूद राजनीति को चुनना जोखिम भरा था।

उन्होंने कहा, ‘‘हां यह जोखिम भरा था लेकिन आप दीदी (ममता बनर्जी) को न नहीं कह सकते थे। दीदी मेरी प्रेरणास्रोत रही हैं। जब दीदी ने बात की तो मैं घुटने की चोट के कारण विजय हजारे ट्राफी में नहीं खेल रहा था। मैंने तब सोचा कि चोट गंभीर भी हो सकती है और मुझे क्रिकेट से इतर सोचना होगा।’’

तिवारी ने कहा, ‘‘भाजपा ने भी मुझसे संपर्क किया था लेकिन जब मैंने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा देखी तो फिर मुझे लगा कि उनसे जुड़ना मेरे आदर्शों और विश्वास के अनुरूप नहीं होगा। मैंने जो देखा उससे मैं आहत था। मैंने भाजपा को जवाब नहीं दिया। उन्होंने अपने वादों को पूरा नहीं किया और यह कोविड प्रबंधन अन्य उदाहरण था। ’’

भाषा पंत आनन्द

आनन्द

 

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