ब्रिटेन में सांसद भारत में प्रेस की स्वतंत्रता, प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा मुद्दे पर बहस करेंगे | MPs in Britain to debate freedom of the press, security issue of protesters in India

ब्रिटेन में सांसद भारत में प्रेस की स्वतंत्रता, प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा मुद्दे पर बहस करेंगे

ब्रिटेन में सांसद भारत में प्रेस की स्वतंत्रता, प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा मुद्दे पर बहस करेंगे

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : March 3, 2021/2:18 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, तीन मार्च (भाषा) ब्रिटेन के सांसद भारत में प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे पर अगले सोमवार को बहस करेंगे। यह बहस उस ई-अर्जी की प्रतिक्रिया में होगी जिस पर 100,000 से अधिक हस्ताक्षर मिले है जो ऐसी चर्चा के लिए जरूरी होता है। इसकी पुष्टि हाउस ऑफ कॉमन्स याचिका समिति ने बुधवार को की।

नब्बे मिनट की यह चर्चा लंदन में हाउसेस आफ पार्लियामेंट परिसर में वेस्टमिंस्टर हॉल में होगी। इस चर्चा की शुरुआत स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) के सांसद और याचिका समिति के सदस्य मार्टीन डे द्वारा की जाएगी। वहीं ब्रिटेन सरकार की ओर से इसका जवाब देने के लिए एक मंत्री की प्रतिनियुक्ति की जाएगी।

बहस ‘भारत सरकार से प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा और प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का आग्रह करें शीर्षक वाली अर्जी से संबंधित है जिसमें ब्रिटेन की सरकार से अनुरोध किया गया था कि वह ‘‘किसानों के प्रदर्शन और प्रेस की आजादी’’ पर एक सार्वजनिक बयान दे।

अगले हफ्ते इस मुद्दे के बहस के लिए आने की उम्मीद की जा रही है कि इसमें वे सांसद शामिल होंगे जो भारत में किसानों के विरोध के मुद्दे पर मुखर रहे हैं। इन सांसदों में विपक्षी लेबर सांसद तान ढेसी भी शामिल हैं।

भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थी समूहों ने देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश की है।

विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने एक बयान में कहा था, ‘‘इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने से पहले, हम आग्रह करेंगे कि तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों पर उचित समझ बनाई जाए।’’

हजारों किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली के कई सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। ये प्रदर्शनकारी किसान सरकार से तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और उन्हें उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी प्रदान करने की मांग कर रहे हैं। सरकार और किसान यूनियनों के बीच कई दौर की बातचीत होने के बावजूद इस गतिरोध को हल करने में अभी तक मदद नहीं मिल पाई है।

ब्रिटेन की सरकार ने पिछले महीने याचिका पर अपने लिखित जवाब में कहा था, ‘‘मीडिया की स्वतंत्रता और विरोध का अधिकार ब्रिटेन और भारत जैसे मजबूत लोकतंत्रों के लिए आवश्यक है। यदि कोई विरोध प्रदर्शन कानून के विरूद्ध हो जाता है तो सरकारों के पास कानून और व्यवस्था लागू करने की शक्ति है।’’

प्रतिक्रिया तब जरूरी हो गई जब ब्रिटेन की संसद की वेबसाइट पर ई-याचिका पर आवश्यक हस्ताक्षर 10,000 से अधिक हो गए। इसमें कहा गया कहा कि ब्रिटेन की सरकार भारत में किसानों के विरोध को लेकर चिंताओं से अवगत है और इसकी सराहना करती है कि ब्रिटेन में मुद्दे को लेकर ‘‘भावनाएं मजबूत’’ हैं क्योंकि ब्रिटेन के कई नागरिकों का भारत में कृषक समुदायों के साथ पारिवारिक संबंध हैं।

ब्रिटेन की सरकार के बयान के अनुसार, ‘‘हम समझते हैं कि भारत सरकार ने किसान यूनियनों के साथ कई दौर की बातचीत की है। जनवरी में उच्चतम न्यायालय ने तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी और कानूनों की जांच पड़ताल करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी।’’

इसमें कहा गया, ‘‘ब्रिटेन की सरकार किसानों के विरोध प्रदर्शन पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेगी। हम इस बात का सम्मान करते हैं कि कृषि सुधार भारत का एक मामला है और विश्व स्तर पर मानव अधिकारों की रक्षा करना जारी रखेंगे।’’

पिछले महीने लंदन में भारतीय उच्चायोग ने लेबर सांसद क्लाउडिया वेबबे को इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर उनके कई हस्तक्षेपों के बाद एक खुला पत्र जारी किया था।

पत्र में एक विस्तृत तथ्य पत्र था जिसमें लिखा था, ‘‘इस बात पर जोर दिया जाता है कि सुधार भारत में किसानों की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से समितियों और विशेषज्ञों की सिफारिशों पर आधारित हैं जिन्होंने भारत में पिछले 20 वर्षों में कृषि क्षेत्र की विशिष्ट चुनौतियों का विश्लेषण किया है।’’

इसमें कहा गया था, ‘‘प्रयास जारी हैं लेकिन भारत सरकार विदेश में निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा गलत सूचनाओं और भड़काऊ दावों के माध्यम से विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के प्रयासों से अधिक अवगत है, जो प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने या लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से मुद्दों को संबोधित करने में मददगार नहीं हैं जिस पर हमारे लोग पारंपरिक रूप से भरोसा करते हैं।’’

भारत सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि उसने किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन के लिए अत्यंत सम्मान दिखाया है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उनके साथ बातचीत में संलग्न है।

भाषा. अमित माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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