औरंगाबाद, नौ फरवरी (भाषा) महाराष्ट्र के एक गांव के निवासियों ने लॉकडाउन की अवधि का इस्तेमाल पुरानी बावड़ी को साफ करने और उसके जलस्तर को बढ़ाने के लिए किया। अब स्थानीय निवासी इस बावड़ी के पानी का उपयोग गैर पेय उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं।
स्थानीय पंचायत के एक अधिकारी ने बताया कि अगर पानी जांच में सही पाया गया तो इसका इस्तेमाल पीने के लिए भी किया जाएगा।
स्थानीय ग्राम सेवक दत्तात्रय पडघन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि परभणी जिले के रायपुर गांव में एक मंदिर के पास स्थित 40 फुट गहरी बावड़ी लंबे समय से उपयोग में नहीं ली जा रही थी।
उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान, कुछ गांववासी साथ आए और पिछले साल अप्रैल में इसे साफ करने का काम शुरू किया।
उन्होंने बताया, ” करीब डेढ़ महीने बाद, यह पूरी तरह से साफ हो गई और बावड़ी के अंदर से बालू और मलबा निकालने के बाद, जलस्तर अब करीब 20 फुट पर आ गया है। ”
रायपुर गांव के पूर्व सरपंच गुलाब गडेकर ने बताया कि बावड़ी में से बड़े पत्थर और अन्य मलबा निकालने के वास्ते क्रेन की सेवा लेने के लिए ग्रामीणों ने 30,000 रुपये से अधिक का योगदान दिया है।
बावड़ी के पास एक हॉल स्थित है और बारिश में उसकी छत पर पानी जमा होता है।
पडघन ने कहा कि ग्रामीणों की योजना अगले मानसून से वर्षा जल संचय करने की है।
भाषा
नोमान प्रशांत
प्रशांत
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