दूरसंचार कंपनियों के बीच दर घटा कर बाजार हथियाने की होड़, अच्छी हो सकती है एक आधार दर | Market grabbing spree by slashing rate among telecom companies may be good at a base rate

दूरसंचार कंपनियों के बीच दर घटा कर बाजार हथियाने की होड़, अच्छी हो सकती है एक आधार दर

दूरसंचार कंपनियों के बीच दर घटा कर बाजार हथियाने की होड़, अच्छी हो सकती है एक आधार दर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : December 11, 2020/3:06 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) भारती एयरटेल लगातार अपनी उपयोक्ताओं की संख्या और बाजार में राजस्व हिस्सेदारी में इजाफा कर रही है। एक रपट के मुताबिक वह वोडाफोन आइडिया के पोस्टपेड दरों में बढ़ोत्तरी से अलग रास्ते पर चल रही है।

सीएलएसएस ने अपनी रपट में कहा कि कंपनियों के बीच बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर छि़ड़ी इस जंग के बीच दूरसंचार दरों के लिए आधार कीमत तय करने को तरजीह मिलने की उम्मीद है।

रपट में कहा गया है कि भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया के पोस्टपेड दरों में बढ़ोत्तरी के रास्ते पर नहीं चल रही है क्योंकि यह चुनिंदा प्लान पर और सीमित क्षेत्र में ही है। वहीं भारती एयरटेल उपयोक्ताओं की संख्या और बाजार में राजस्व हिस्सेदारी बढ़ाने पर भी काम कर रही है।

सीएलएसए ने कहा कि पोस्टपेड बाजार में वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल की प्रमुख प्रतिस्पर्धी कंपनी है। हाल में कंपनी ने देश के 22 सर्किल में से एक में दो प्लान की दरों में सात से नौ प्रतिशत की वृद्धि की है।

रपट में कहा गया है कि इस तरह वोडाफोन आइडिया की पोस्ट पेड दरें भारती एयरटेल के मुकाबले अब सात प्रतिशत जबकि रिलायंस जियो के मुकाबले करीब 60 प्रतिशत अधिक हैं।

सीएलएसए ने कहा कि भारत में दूरसंचार दरें अभी बाजार के आधार पर तय होती हैं। लेकिन इस बीच में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आधार दरें तय करने के लिए काफी काम किया है। उद्योग को ट्राई के नए चेयरमैन द्वारा इस संबंध में निर्णय लेने का इंतजार है जो देश में उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आए।

रपट में कहा गया है कि ट्राई की चुनौती विभिन्न कंपनियों के डेटा कीमत में विविधता को लेकर है। इसी के साथ उसे डेटा की आधार कीमत, बंडल प्लानों, और 2जी/3जी ग्राहकों के लिए वॉयस कॉल की दरें बाजार के आधार पर तय करने लेकिन 4जी नेटवर्क पर वॉयस कॉल के लिए आधार कीमत तय करने जैसे सवालों से जूझना है।

इन सब मुद्दों के चलते आधार कीमतों को तय करने में देरी होने की संभावना है।

भाषा शरद मनोहर

मनोहर

 

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