‘मन की बात’ में मोदी ने की कहानी कहने की कला को प्रचारित-प्रसारित करने की अपील | Modi appeals for propagation of storytelling art in 'Mann Ki Baat'

‘मन की बात’ में मोदी ने की कहानी कहने की कला को प्रचारित-प्रसारित करने की अपील

‘मन की बात’ में मोदी ने की कहानी कहने की कला को प्रचारित-प्रसारित करने की अपील

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : September 27, 2020/6:53 am IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घरों व परिवारों से लुप्त होती जा रही कहानी सुनने और सुनाने की परंपरा पर अपनी चिंता प्रकट करते हुए रविवार को देशवासयों से इसके प्रचार-प्रसार के प्रयास की अपील की।

आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 69वीं कड़ी में अपने विचार व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कठिन दौर में जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है तो इसी संकट काल ने परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में कहानी कहने की या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी हैं जहां हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है। जहां, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है।’’

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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते थे। हमें जरूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधाएं बनाई थीं, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है।’

मोदी ने कहा कि कहानी सुनाने की कला, कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता।

उन्होंने कहा, ‘‘कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें।’

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मोदी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वह देश के विभिन्न इलाकों में घूमा करते थे तब बच्चों को कहानियों से ज्यादा चुटकुले पसंद आते थे और वे उन्हें ही सुनने और सुनाने पर जोर देते थे।

उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया, ‘‘कहानी कहने की यह कला देश में और अधिक मजबूत बने, और अधिक प्रचारित हो, और सहज बने, इसलिए, हम सब प्रयास करें।’