नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) भारतीय वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की अधिक उपज देने वाली और कीट-प्रतिरोधी किस्म विकसित की है। अगले साल तक किसानों को इसके बीज उपलब्ध हो जाएंगे। कृषि मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सोयाबीन की नयी एमएसीएस 1407, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर-पूर्वी राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है। इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान एमएसीएस- अग्रहार रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई), पुणे के वैज्ञानिकों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से विकसित किया है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसे नये बीज कोअधिसूचित एवं जारी करने की केन्द्रीय उपसमिति ने व्यावसायिक उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है। यह बीज उत्पादन और खेती के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध है। मंत्रालय के अनुसार , ‘‘इसका बीज किसानों को वर्ष 2022 खरीफ सत्र के दौरान बुवाई के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।’’
नई किस्म क्रॉस-ब्रीडिंग तकनीक से विकसित किया गया है। यह 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की ऊपज देता है।इसे परिपक्व होने में 104 दिन लगते हैं।
पिछले कुछ वर्षो के दौरान देश में सोयाबीन का उत्पादन 100-146 लाख टन के दायरे में बना हुआ है। सरकार के दूसरे अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2020-21 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में इसका उत्पादन 137.11 लाख टन रहेगा।
भाषा राजेश राजेश मनोहर
मनोहर
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