पीएम मोदी से NCP ने की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच हुई घंटे भर चर्चा | NCP leader Sharad Pawar calls on PM Modi, discusses various issues for an hour

पीएम मोदी से NCP ने की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच हुई घंटे भर चर्चा

पीएम मोदी से NCP ने की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच हुई घंटे भर चर्चा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : July 17, 2021/3:27 pm IST

नयी दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और बैंकिंग संशोधन अधिनियम, सहकारिता क्षेत्र सहित अन्य कई मुद्दों पर लगभग घंटे भर चर्चा की। पवार ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। राष्ट्र हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्वीट कर दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात की एक तस्वीर साझा की लेकिन मुलाकात में हुई बातों का कोई ब्योरा नहीं दिया।

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पवार की मोदी से यह मुलाकात संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक दो दिन पहले हुई है। बाद में पवार ने अपने ट्विटर खाते पर एक पत्र साझा किया जो उन्होंने बैंकिंग संशोधन अधिनियम के बारे में प्रधानमंत्री को लिखा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस अधिनियम के कुछ असंगत और मानदंड सबंधी प्रवाधानों की विधिक प्रभावहीनता के बारे में आपका ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं जो कि मेल नहीं खाता है, खासकर 97वें संविधान संशोधन, राज्य सहकारी सोसायटीज अधिनियम और सहकारिता के सिद्धांतों से।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पत्र में दोहराया कि संशोधित अधिनियम का उद्देश्य सही है और कई प्रावधानों की आवश्यकता है। स्खलित बोर्ड और प्रबंधन पर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए और निवेशकों के हितों की सुरक्षा भी की जानी चाहिए लेकिन साथ ही साथ ऐसा करने के दौरान यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संविधान में प्रदत्त सहकारिता के सिद्धांतों को अति उत्साही नियामकों की बेदी पर ना चढ़ाया जाए।’’ पवार का यह पत्र ऐसे समय में लिखा गया है जब कुछ दिनों पहले ही एक नए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया है और इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी गई है।

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इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मुंबई में कहा कि पवार और मोदी की मुलाकात पहले से तय थी और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के सहयोगियों को इसकी जानकारी थी। पार्टी ने कहा कि बैठक के दौरान बैंकिंग नियामक कानून में होने वाले संशोधन समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एवं राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि हाल में पवार ने मुबंई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एच के पाटिल समेत अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ हुई मुलाकात के दौरान इस पूर्व निर्धारित बैठक के बारे में उन्हें अवगत कराया था। 

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उन्होंने कहा, ” मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी इस बैठक के बारे में अवगत कराया गया था।” महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के गठबंधन वाली महा विकास आघाड़ी सरकार है। मलिक ने कहा, ” बैंकिंग नियामक कानून में संशोधन से सहकारी क्षेत्र के बैंकों को नुकसान पहुंचेगा क्योंकि आरबीआई को अधिक शक्तियां दी गईं जबकि सहकारी बैंक की शक्तियों पर प्रतिबंध लगाए गए। सहकारिता राज्य का विषय है। पवार सभी पक्षकारों से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, ”पवार ने प्रधानमंत्री से फोन पर बात की थी और यह फैसला किया गया था कि जब भी वह दिल्ली में होंगे, मुलाकात होगी।” राकांपा नेता ने कहा कि पवार ने प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक के दौरान कोविड-19 से निपटने और टीकाकरण प्रक्रिया का भी मुद्दा उठाया।

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इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को शरद पवार और पूर्व रक्षा मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता ए के एंटनी से मुलाकात की थी। इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में भारत की सीमा पर चीन के साथ जारी गतिरोध से जुड़े ताजा पहलुओं पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह ने पवार और एंटनी को सीमा पर की ताजा स्थिति और भारत की सैन्य तैयारियों से अवगत कराया। पवार देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने भी शुक्रवार को पवार से मुलाकात की थी। यह मुलाकातें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र आरंभ हो रहा है। शरद पवार की गिनती देश के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में होती है। 80 वर्षीय पवार के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे संबंध भी हैं। पिछले दिनों उन्होंने कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी। उनकी इस कवायद को विपक्षी एकता मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा गया था।

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