एनटीपीसी ने महाराष्ट्र की मौदा तहसील में 150 गांवों का जल संकट दूर करने में की मदद | NTPC helps 150 villages in Mauda tehsil of Maharashtra to overcome water crisis

एनटीपीसी ने महाराष्ट्र की मौदा तहसील में 150 गांवों का जल संकट दूर करने में की मदद

एनटीपीसी ने महाराष्ट्र की मौदा तहसील में 150 गांवों का जल संकट दूर करने में की मदद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : May 22, 2021/9:23 am IST

नयी दिल्ली , 22 मई (भाषा) सरकारी क्षेत्र की विद्युत कंपनी एनटीपीसी ने शनिवार को बताया कि उसने महाराष्ट्र में मौदा तहसील और उसके आसपास के 150 से अधिक गांवों में भू-जल संवर्धन कार्यक्रम के माध्यम से वहां जल संकट के निवारण में लोगों की सहायता की है।

विद्ययुत मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि उसके तहत आने वाले केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम एनटीपीसी ने महाराष्ट्र के मौदा में भूजल कायाकल्प परियोजना के माध्यम से अपने परिचालन क्षेत्र के 150 गांवों तथा उसके आसपास के क्षेत्रों की जल संकट से उबरने में मदद की है।

बयान के अनुसार कंपनी अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत इस पहल में मौदा जलयुक्त शिविर योजना की सहायता कर रही है जिसने सफलतापूर्वक मौदा नदी को एक जल अधिशेष तहसील में बदल दिया है।

यह परियोजना कुछ अन्य संगठनों तथा राज्य सरकार की मदद से आर्ट ऑॅफ लिविंग की महाराष्ट्र शाखा द्वारा आरंभ की गई थी।

विज्ञप्ति के अनुसार मौदा नागपुर के जल की कमी से सर्वाधिक प्रभावित तहसीलों में से एक था। 2017 में शुरू की गयी इस परियोजना ने मौदा, हिंगना और कम्पटी तहसीलों में 200 किमी से अधिक क्षेत्र को कवर किया है। पिछले चार वर्षों में, इससे 150 से अधिक गांवों को लाभ पहुंचा है।

एनटीपीसी मौदा ने संबंधित मशीनरी और उपकरणों के ईंधन प्रभारों के लिए 78 लाख रुपये का योगदान दिया है। 1,000 एकड़ के क्षेत्र में पांच तालाबों की कायाकल्प परियोजना के लिए एनटीपीसी मौदा द्वारा एक करोड़ रुपये की राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है।

एनटीपीसी मौदा के समूह महाप्रबंधक हरि प्रसाद जोशी ने कहा, ‘हम नजदीक के समुदाय के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और एनटीपीसी मौदा यह सुनिश्चित करेगी कि वह ऐसा करने में अपनी भूमिका निभाए।’ उन्होंने बताया कि ‘जल जहां गिरे, वहीं इसे जमा करो’ की तकनीक में नदी के पूरे विस्तार में तालाबों तथा नालों का निर्माण शामिल होता है ताकि वर्षा जल को एक लंबी अवधि तक रोक कर रखा जा सके। इससे पूर्व, वर्षा जल बह जाता था लेकिन अब इस जल को धीरे-धीरे जमीन की गहराई में जाने का पर्याप्त समय मिल जाता है। इससे भूजल स्तरों में काफी सुधार हुआ है।

विज्ञप्ति के अनुसार दो वर्ष पहले तक, इस क्षेत्र के किसान कटाई उपरांत सीजन के दौरान धान, गेहूं तथा मिर्च जैसी फसलों के लिए पानी पाने का संघर्ष करते थे। अब भंडारित वर्षा जल ने उनकी सहायता की है और उन्हें उनकी फसलों के लिए एक नया जीवन दिया है तथा आय के स्तरों में वृद्धि हुई है।

भाषा मनोहर प्रणव

मनोहर

 

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