नेपाल में प्रतिनिधि सभा भंग करने का मामला: न्यायालय की पीठ ने अपनी संरचना पर और विचार से इनकार किया | Nepal house of representatives dissolved: Court bench refuses further consideration of its structure

नेपाल में प्रतिनिधि सभा भंग करने का मामला: न्यायालय की पीठ ने अपनी संरचना पर और विचार से इनकार किया

नेपाल में प्रतिनिधि सभा भंग करने का मामला: न्यायालय की पीठ ने अपनी संरचना पर और विचार से इनकार किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : June 10, 2021/10:40 am IST

काठमांडू, 10 जून (भाषा) नेपाल में प्रतिनिधि सभा भंग करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने अपनी संरचना पर आगे और दलीलों पर विचार करने से इनकार कर दिया तथा कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे गंभीर प्रकृति के हैं और इनका अविलंब समाधान किए जाने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सिफारिश पर पांच महीने के भीतर दूसरी बार 22 मई को प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराए जाने की घोषणा की थी। ओली सदन में बहुमत खोने के बाद अल्पमत की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने मामले की सुनवाई के लिए गत 28 मई को पीठ का गठन किया था, लेकिन न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी और न्यायमूर्ति बाम कुमार श्रेष्ठ की मौजूदगी पर सवाल उठने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई थी। न्यायमूर्ति राणा ने न्यायाधीशों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर शामिल करते हुए रविवार को पीठ का पुनर्गठन किया था।

नयी पीठ में न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की, न्यायमूर्ति मीरा खाडका, न्यायमूर्ति ईश्वर खाटीवाडा और न्यायमूर्ति आनंद मोहन भट्टारई सदस्य के रूप में शामिल हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ओली की पैरवी कर रहे अटॉर्नी जनरल रमेश बादल सहित अन्य वकीलों ने पीठ में न्यायमूर्ति कार्की और भट्टारई की मौजूदगी पर सवाल उठाए जिससे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई में विलंब हुआ।

काठमांडू पोस्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि पीठ ने बुधवार को कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अपनी संरचना पर आगे किसी और दलील पर विचार करने से इनकार कर दिया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे गंभीर प्रकृति के हैं जिनका अविलंब समाधान किए जाने की आवश्यकता है।’’ इसने कहा कि मामले में 23 जून से लगातार सुनवाई शुरू होगी।

नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के मामले में शीर्ष अदालत ने न्याय मित्र के रूप में नेपाल बार एसोसिएशन से तथा उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन से दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मदद लेने का निर्णय किया है।

प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ विपक्षी गठबंधन की याचिका सहित 30 रिट याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि प्रतिनिधि सभा को भंग किया जाना ‘‘असंवैधानिक’’ है।

काठमांडू पोस्ट ने कहा कि पीठ ने सुनवाई की अवधि कम करने के लिए भी एक रणनीति तय की है जिसमें वकीलों को दलीलें प्रस्तुत करने के लिए सीमित समय दिया जाएगा। पीठ ने दोनों पक्षों को दलीलें प्रस्तुत करने के लिए अधिकतम 15 घंटे का समय देने का फैसला किया है। इसी तरह प्रत्येक न्याय मित्र को अपनी दलीलें प्रस्तुत करने के लिए 30 मिनट का समय मिलेगा।

संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि पीठ ने सुनवाई की प्रक्रिया को व्यवस्थित करने का प्रयास किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं नेपाल लॉ कैंपस में प्रोफेसर पूर्ण मान शक्य ने कहा, ‘‘अदालत ने पर्याप्त समय दिया है। सुनवाई की प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाने का इसका प्रयास सराहनीय है।’’

पीठ ने मामले में बुधवार को राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रिपरिषद को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा था। उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों ने कहा था कि बुधवार का आदेश इस बात का संकेत है कि फैसला जल्द आ सकता है-और काफी संभावना है कि यह 23 जून को सुनवाई शुरू होने के बाद एक सप्ताह के भीतर आ जाए।

उन्होंने कहा कि वकीलों और न्याय मित्रों को 24 जून (सुनवाई शुरू होने के एक दिन बाद) अपना कानूनी पक्ष रखने का निर्देश संकेत देता है कि अदालत की मंशा अविलंब निर्णय देने की है।

उच्चतम न्यायालय के अधिकारी किशोर पौडेल ने अखबार से कहा, ‘‘निर्देश भंग प्रतिनिधि सभा के 146 सांसदों द्वारा दायर याचिका पर दिया गया।’’

भाषा

नेत्रपाल मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)