मथुरा, सात जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश के मथुरा में शाही ईदगाह को हटाकर उक्त भूमि को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपे जाने से संबंधित मामले के दूसरे प्रतिवादी शाही ईदगाह प्रबंधन समिति की आपत्ति पर हुई करीब एक घण्टे की बहस के बाद जिला न्यायाधीश ने याचिका के विचार योग्य होने या न होने के बारे में निर्णय देने के लिए 11 जनवरी की तारीख तय की है।
यह जानकारी जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह तरकर ने दी।
जिला न्यायालय में दाखिल किए गए श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में दोनों पक्षों के बीच 1967 में हुए समझौते को निरस्त कर ईदगाह को हटाकर उक्त भूमि मंदिर को वापस किए जाने से संबंधित मामले में प्रतिवादी संख्या दो यानी शाही ईदगाह की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अबरार हुसैन, इकरार हुसैन, नीरज शर्मा व सौरभ श्रीवास्तव ने प्रबंधन समिति के सचिव तनवीर अहमद की ओर से प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वादी का दावा विधि सम्मत नहीं है और इस मामले को पंजीकृत न किया जाए।
इसका वादी के पैरोकार हरिशंकर जैन, विष्णुशंकर जैन व प्रतिवादी संख्या – तीन कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता महेश चंद्र चतुर्वेदी व चौथे प्रतिवादी मुकेश खण्डेलवाल, श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्था के वकील, ने विरोध किया।
उन्होंने कहा कि जब यह मामला पहले ही सुना जा चुका है और तत्कालीन जिला न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर इस संबंध में अपना निर्णय दे चुकी हैं तो इस पर पुनः विचार करना न्यायसंगत नहीं होगा। इस पर न्यायालय ने निर्णय सुनाने के लिए 11 जनवरी की तिथि तय कर दी।
जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए अर्जी दाखिल करने वाले सभी पक्षों की सुनवाई के लिए भी 11 जनवरी की ही तारीख तय की है।
वादियों का दावा है कि ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी है।
भाषा सं नेत्रपाल
नेत्रपाल
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