लखनऊ, छह अप्रैल (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सक्रिय पदाधिकारी मोहम्मद नदीम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
मोहम्मद नदीम पर अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की आधारशिला रखने के खिलाफ बाराबंकी के कुर्सी इलाके में भाषण देते हुए धार्मिक भावनायें भड़काने का आरोप है।
अपने आदेश में न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि संविधान में प्रदत्त बोलने के अधिकार का यह कतई तात्पर्य नहीं है कि दूसरे धर्म या समुदाय के खिलाफ बोला जाये और उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाये।
यह आदेश अदालत ने मोहम्मद नदीम की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी पर पारित किया। अर्जी का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता (प्रथम) राजेश कुमार सिंह ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ विवेचना के दौरान इस बात के पर्याप्त साक्ष्य आये हैं कि वह पीएफआई का सक्रिय पदाधिकारी है और उसने दूसरे धर्म के लोगों को भड़काने वाला भाषण दिया।
सिंह ने अदालत को यह भी बताया कि पहले भी अभियुक्त ने इस प्रकार का अपराध किया था।
दरअसल बाराबंकी की कुर्सी पुलिस ने अभियुक्त नदीम के खिलाफ धार्मिक भावनायें भड़काने व राम मंदिर के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
भाषा सं आनन्द नोमान
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