प्रवर्तक को सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में र्वर्गीकृत करने के नियमों में छूट का प्रस्ताव | Proposal to relax rules for classifying promoters as public shareholders

प्रवर्तक को सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में र्वर्गीकृत करने के नियमों में छूट का प्रस्ताव

प्रवर्तक को सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में र्वर्गीकृत करने के नियमों में छूट का प्रस्ताव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : November 23, 2020/4:45 pm IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को मतदान अधिकार को लेकर प्रवर्तक के सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में पुनर्वर्गीकरण के लिये न्यूनतम हिस्सेदारी सीमा के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया।

नियामक ने यह भी सुझाव दिया कि सभी प्रवर्तक इकाइयां होल्डिंग शून्य होने की स्थिति में भी शेयरधारिता का खुलासा करें।

प्रस्ताव के तहत शेयरधारिता को लेकर पुनर्वर्गीकरण शर्तों को संशोधित किया जाना चाहिए। इसमें अगर प्रवर्तक और संबंधित व्यक्ति पुनर्वर्गीकरण की मांग करता है, उसकी हिस्सेदारी संयुक्त रूप से सूचीबद्ध इकाई में कुल वोटिंग अधिकार का 15 प्रतिशत या उससे अधिक नहीं होनी चाहिए।

फिलहाल यह सीमा 10 प्रतिशत है।

नियामक को मौजूदा 10 प्रतिशत की समीक्षा के लिये बाजार प्रतिभागियों से सुझाव मिले हैं। इससे जो व्यक्ति प्रवर्तक है लेकिन उसका दैनिक कार्यों को लेकर नियंत्रण नहीं है, और उसकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से कम है, वह बिना अपनी हिस्सेदारी कम किये प्रवर्तक की श्रेणी से बाहर निकलने का विकल्प चुन सकता है।

नियामक ने परामर्श पत्र में कहा कि सेबी ने मौजूदा शर्त से राहत मामला-दर-मामला आधार पर दिया है। मौजूदा प्रावधानों पर फिर से गौर किया जाएगा ताकि मामला-दर-मामला आधार पर जो छूट दी गयी है, उसकी संख्या कम की जा सके।

सेबी ने यह छूट इस शर्त पर दी है कि जो प्रवर्तक पुनर्वर्गीकरण चाह रहे हैं, वे सूचीबद्ध इकाई के नियंत्रण में नहीं होने चाहिए।

साथ ही मौजूदा प्रवर्तकों को उन मामलों में पुनर्वर्गीकरण के लिये प्रक्रिया में छूट दी जानी चाहिए जहां इस तरह का पुनर्वर्गीकरण खुली पेशकश के आधार पर हो।

खुली पेशकश के तहत छूट कुछ शर्तों पर निर्भर है। इसमें मौजूदा प्रवर्तक के पुनर्वर्गीकरण के इरादे का खुलासा पेशकश पत्र में होना चाहिए।

सेबी ने इन प्रस्तावों पर 24 दिसंबर तक संबंधित पक्षों से प्रतिक्रिया मांगी है।

नियामक ने सुझाव दिया कि प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह के अंतर्गत ओने वाली इकाइयों को ‘शून्य’ शेयरधारिता की स्थिति में भी अलग से खुलासा करना चाहिए।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

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