राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर साधा निशाना, वायनाड में ट्रैक्टर रैली में हुए शामिल | Rahul Gandhi targets Centre over agriculture laws, attends tractor rally in Wayanad

राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर साधा निशाना, वायनाड में ट्रैक्टर रैली में हुए शामिल

राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर साधा निशाना, वायनाड में ट्रैक्टर रैली में हुए शामिल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : February 22, 2021/1:32 pm IST

वायनाड (केरल), 22 फरवरी (भाषा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए सोमवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक ट्रैक्टर रैली में शामिल हुए और उन्होंने कहा कि कृषि एकमात्र व्यवसाय है जिसका संबंध ‘भारत माता’ से है।

उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए ‘मजबूर’ करें जिन्हें भाजपा नीत केंद्र सरकार ने लागू किया है।

चुनावी राज्य केरल में अपने निर्वाचन क्षेत्र वायनाड के दो दिन के दौरे पर आए गांधी ने मनरेगा को लेकर भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा।

गांधी ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी ने मनरेगा का ‘‘मजाक’’ उड़ाया था, लेकिन उन्हें यह तथ्य स्वीकार करना पड़ा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा लायी गयी ग्रामीण रोजगार योजना ने कोविड-19 महामारी के दौरान देश के लोगों की ‘‘रक्षा’’ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

उन्होंने कहा, ‘‘पॉप स्टार ने भारतीय किसानों की स्थिति पर टिप्पणी की लेकिन भारत सरकार को इसमें रुचि नहीं है। उन्हें (सरकार को) जब तक मजबूर नहीं किया जाएगा, वे तीनों कानूनों को वापस नहीं लेंगे।’’

वायनाड जिले के थ्रिक्काइपट्टा से मुत्तिल के बीच छह किलोमीटर लंबी ट्रैक्टर रैली के बाद आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, ‘‘पूरी दुनिया भारतीय किसानों की परेशानी देख सकती है लेकिन दिल्ली की सरकार किसानों का दर्द नहीं समझ पा रही है।’’

गांधी ने आरोप लगाया कि इन तीनों कृषि कानूनों को भारत की कृषि व्यवस्था को बर्बाद करने और पूरा कारोबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो-तीन दोस्तों को देने के लिए बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि कृषि 40 लाख करोड़ रुपये के साथ देश का सबसे बड़ा कारोबार है और इससे करोड़ों भारतीयों जुड़े हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘कृषि एकमात्र व्यवसाय है जिसका संबंध ‘भारत माता’ से है और कुछ लोग इस कारोबार पर कब्जा करना चाहते हैं।’’

गांधी ने कहा कि इन कानूनों के पीछे विचार है कि किसान सीधे इन लोगों को अपनी उपज बेचे। वे समूची कृषि श्रृंखला को बर्बाद करना चाहते हैं जिससे इस देश के 40 प्रतिशत लोगों की रक्षा होती है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम नरेंद्र मोदी के दो-तीन दोस्तों को इस पर कब्जा नहीं करने देंगे। इसलिए हमने यहां ट्रैक्टर रैली निकाली है ताकि किसान समझ सकें कि हम उनके साथ हैं। हम उनकी मदद करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि भाजपा सरकार इन कानूनों को वापस ले।’’

इससे पहले, वायनाड की पोठाडी ग्राम पंचायत में ‘‘कुदुंबश्री संगमम’’ का उद्घाटन करते हुए गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने गरीब लोगों के सशक्तिकरण के लिए काम किया और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा सबसे शक्तिशाली लोगों का सशक्तिकरण कर रही है।

लोकसभा में वायनाड का प्रतिनिधित्व करने वाले गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने हम सबके सामने संसद में मनरेगा का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा था कि मनरेगा देश के लोगों का अपमान है।’’

गांधी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री को देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार के दौरान योजना के तहत कार्यों और धन का आवंटन बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘और वह (मोदी) कोविड-19 के दौरान यह स्वीकार करने के लिए मजबूर हो गए कि मनरेगा ने देश के लोगों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।’’

उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान मनरेगा में रोजगार की मांग बढ़ गयी।

गांधी ने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा लायी गयी मनरेगा और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की शुरुआत ना केवल ‘‘भेंट’’ है बल्कि यह ‘‘लोगों को मजबूत बनाने का जरिया भी है।’’

उन्होंने कहा कि जब मनरेगा की शुरुआत की गयी तो एक वित्त वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 100 दिनों के लिए रोजगार देने की गारंटी प्रदान की गयी।

गांधी ने कहा कि कई लोगों ने दावा किया था कि मनरेगा योजना लोगों को तबाह कर रही है लेकिन ‘‘जब सरकार बड़े कारोबारियों को लाखों करोड़ रुपये दे रही है और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण कर रही है तो वे लोग कुछ नहीं कह रहे।’’

उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना को लागू करने से संप्रग शासन के दौरान ‘‘शानदार आर्थिक वृद्धि’’ हुई।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

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