नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) पुलिस ने मंगलवार को उच्च न्यायालय को बताया कि उत्तरी-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले के संबंध में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता समेत कुछ वकीलों को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) के तौर पर नियुक्त किए जाने की उसकी सिफारिश आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं थी।
दंगा मामले में एसपीपी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली दिल्ली अभियोजक कल्याण संघ (डीपीडब्ल्यूए) की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह के समक्ष यह दलील दी।
आप सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील गौतम नारायण ने अदालत को बताया कि शुरुआत में आप सरकार ने दिल्ली पुलिस द्वारा भेजी गई एसपीपी की सूची खारिज कर दी थी और अपनी सूची भेजी थी।
नारायण ने अदालत को बताया कि बाद में उपराज्यपाल ने मामले में हस्तक्षेप किया और उन्होंने दिल्ली सरकार की सूची से असहमति जताई, जिसके बाद मामले को राष्ट्रपति के समक्ष भेजा गया। राष्ट्रपति ने पुलिस की सूची को मंजूरी दी थी।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने केवल एसपीपी की नियुक्ति के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। हालांकि, दिल्ली सरकार ने इनकी नियुक्ति नहीं की है।
न्यायमूर्ति सिंह ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद याचिका को जनहित याचिका जैसी मानते हुए उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को इसे उपयुक्त पीठ के समक्ष 15 मार्च के लिए सूचीबद्ध किए जाने का निर्देश दिया।
पिछले साल नौ नवंबर को उच्च न्यायालय ने डीपीडब्ल्यूए की याचिका को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर उनका रुख साफ करने को कहा था।
डीपीडब्ल्यूए ने अपनी याचिका में पुलिस के अनुसार एसपीपी की नियुक्ति किए जाने को चुनौती दी थी।
भाषा शफीक मनीषा
मनीषा
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)