मुंबई, 24 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों ने संभवत: अपने संशोधित अनुमान में आर्थिक प्रदर्शन को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को एक रिपोर्ट में यह कहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर राजयों के संशोधित अनुमान को जोड़ा जाए, तो बाजार मूल्य पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 3 प्रतिशत की वृद्धि होगी जो राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के गिरावट के अनुमान के विपरीत है।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘राज्य जीएसडीपी (राज्य सकल घरेलू उत्पाद) आंकड़ों को संशोधित किया जा सकता है।’’ इसमें राजस्थान, झारखंड, ओड़िशा और केरल की सराहना करते हुए कहा गया है कि इन राज्यों ने अधिक वास्तविक तस्वीर पेश की है।
रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी बड़े राज्यों ने 2021-22 का बजट पेश कर दिया है। इसमें 2020-21 के संशोधित अनुमान को रखा गया है। चालू वित्त वर्ष के लिये राज्यों के जीएसडीपी अनुमान के सत्यापन को लेकर अर्थशास्त्रियों ने पिछले कुछ वर्षों के प्रदर्शन के आधार पर स्वयं का अनुमान तैयार किया है।
उनका कहना है कि अगर राज्यों के जीएसडीपी अनुमान को लिया जाता है तो अखिल भारतीय स्तर पर जीडीपी में गिरावट एनएसओ के अनुमान से कहीं कम होगी। लेकिन अगर वे उन राज्यों के जीएसडीपी के अनुमान को लेकर आकलन करे जिनके जीएसडीपी के आंकड़े उपलब्ध नहीं है, तो इससे भारत का 2020-21 का जीडीपी 209.5 लाख करोड़ रुपये हो सकता है जो बाजार मूल्य पर 3 प्रतिशत वृद्धि को बताता है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कुछ राज्यों के मामले में हमने पाया कि 2020-21 के लिये हमारे अनुमान और उनके संशोधित अनुमान में काफी अंतर है। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘यह दिलचस्प है कि इन राज्यों ने जीएसडीपी आंकड़े को लेकर बेहतर तस्वीर दिखायी है, लेकिन कर संग्रह के मामले में यह प्रतिबिंबित नहीं होता। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में वास्तव में 2019-20 की तुलना में 2020-21 में राजस्व प्राप्ति कम हुई है।’’
भाषा
रमण मनोहर
मनोहर
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