कभी एक दूसरे की चिर-प्रतिद्वंद्वी रही सोनम और अंशु मलिक से देश को पदक की उम्मीद | Sonam and Anshu Malik, once arch rivals of each other, hope for a medal for the country

कभी एक दूसरे की चिर-प्रतिद्वंद्वी रही सोनम और अंशु मलिक से देश को पदक की उम्मीद

कभी एक दूसरे की चिर-प्रतिद्वंद्वी रही सोनम और अंशु मलिक से देश को पदक की उम्मीद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : July 17, 2021/3:18 pm IST

… अमनप्रीत सिंह…

नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) कुश्ती के अखाड़े और उसके बाहर कभी एक दूसरे की चिर-प्रतिद्वंद्वी रही सोनम और अंशु मलिक परिवार और कोच की पहल पर अब अच्छी दोस्त हैं और देश को दोनों से तोक्यो ओलंपिक में पदक की उम्मीद है। दोनों की दोस्ती का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय कुश्ती को हुआ। तोक्यो ओलंपिक के लिए दोनों का क्वालीफाई होना किसी सपने के सच होने जैसा है । अंशु के कोच जगदीश और पिता धर्मवीर चाहते थे कि उनकी ‘बेटी’ 2024 के पेरिस खेलों के लिए तैयार रहे। सोनम के बारे में कोच अजमेर मलिक और पिता राज मलिक भी ऐसा ही सोचते थे। उन्होंने हालांकि तोक्यो खेलों के लिए क्वालीफाई कर सबको चौंका दिया। अंशु और सोनम ने इन खेलों के स्थापित सितारे पूजा ढांडा और साक्षी मलिक को पछाड़ कर भारतीय टीम में क्रमशः 57 किग्रा और 62 किग्रा वर्ग में जगह पक्की की। इससे पहले अंशु और सोनम राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में एक दूसरे के को पछाड़ने के लिए योजनाएं बनाती थी। दोनों पहलवान 56 किग्रा या 60 किग्रा में एक-दूसरे को खिताब से वंचित कर देते थे। इससे न केवल उनके बीच बल्कि उनके परिवारों के बीच भी आपसी दुश्मनी पैदा हो गयी थी। धर्मवीर और राज के बीच कई बार मारपीट जैसी स्थिति हो गयी क्योंकि दोनों को लगता था कि उनकी बेटी जीत की असल हकदार है। ये चीजें हालांकि ज्यादा दिनों तक नहीं चली। अंशु के पिता धर्मवीर ने कहा,‘‘ वे दोनों अच्छे हैं। हमने सोचा था कि अगर वे इसी श्रेणी में रहे तो क्षमता होने के बावजूद उनमें से एक  भारत का प्रतिनिधित्व करने से चूक जाएगा। इसलिए हमने उनकी श्रेणियां बदलने का फैसला किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उस समय अंशु 60 किग्रा में बनी रही और सोनम ने 56 किग्रा में भाग लिया। यही उसके लिए सबसे अच्छा विकल्प था और उसके बाद दोनों विश्व चैंपियन (2017 में कैडेट) बन गए।’’ अंशु से जब इस बारे में पूछा गया तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी। सोनम ने हालांकि कहा, ‘‘ हम अब बहनों की तरह हैं। हम एक-दूसरे की सफलता का लुत्फ उठाते हैं।’’ दोनों की दोस्ती लखनऊ के राष्ट्रीय शिविर के दौरान एक ही कमरे में रहने से और मजबूत हो गयी। अंशु ने पिछले कुछ समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर की छह प्रतियोगिताओं में से में पांच में पदक हासिल किये। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 57 किग्रा में अनुभवी पहलवानों के खिलाफ घबराई हुई थी तो उन्होंने कहा, ‘नहीं।’ अंशु ने कहा, ‘‘ मैं सीनियर्स से कभी नहीं डरती थी। मैं बस उन्हें पटखनी देने का इंतजार कर रही थी। मैं हमेशा से वो पदक जीतना चाहती थी, पोडियम का अहसास लेना चाहती थी।  स्कूल में भी मैं सबसे अव्वल रहना चाहती थी। ’’ अंशु की सबसे बड़ी ताकत सकारात्मक रहना है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं मानसिक रूप से बहुत मजबूत हूं। अगर कोई मेरे बारे में नकारात्मक टिप्पणी करता है या मुझसे कहता है कि मैं मजबूत प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाऊंगी तो भी मैं परेशान नहीं होती। ऐसी बातें मुझे प्रभावित नहीं करती है।’’ सोनम ने  एशियाई क्वालीफायर में रजत पदक के साथ तोक्यो खेलों के लिए क्वालीफाई करने से पहले रियो ओलंपिक 2016 की पदक विजेता  साक्षी मलिक को चार बार हराकर सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इससे पहले स्थानीय दंगलों में दिव्या काकरान, रितु मलिक सरिता मोर , निशा और सुदेश जैसे अनुभवी पहलवानों को पटखनी दी। उनके कोच अजमेर ने कहा, ‘‘ हम सिर्फ यह परखना चाहते थे कि वह इन प्रतिद्वंदियों के खिलाफ कहां ठहरती है, लेकिन वह सबको पटखनी देकर आश्चर्यचकित करते रही। ’’ सोनम सीनियर स्तर पर मौका देने के दिलवाने के लिए कोच और परिवार को काफी मेहनत करनी पड़ी।  साल 2019 में काफी मेहनत के बाद हालांकि भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) ने सोनम को रोम रैंकिंग सीरीज के लिए जनवरी 2020 के ट्रायल में मौका दिया। अजमेर ने कहा, ‘‘ट्रायल्स में सोनम साक्षी मलिक पर भारी पड़ी और उन्होंने भारतीय टीम में जगह पक्की की। इसके बाद नेता जी (डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बीबी शरण) ने कहा था कि अगर हम ट्रायल्स में उसे मौका नहीं देते तो यह बड़ी गलती होती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ डब्ल्यूएफआई और कई अन्य लोगों ने तर्क दिया था कि अनुभव की कमी के कारण वह चोटिल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हम ऐसा करके उसके करियर को खतरे में डाल देंगे, लेकिन हमने महासंघ को मनाना जारी रखा।’’ भाषा आनन्द नमितानमिता

 

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