कोलंबो, छह अप्रैल (भाषा) श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश में पामतेल के आयात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। उन्होंने स्थानीय बागान कंपनियों को उनके लगाये गये पॉम पौधों में से 10 प्रतिशत को उखाड़ फेंकने और उसके स्थान पर रबड़ के पेड़ या अन्य पर्यावरण अनुकूल फसल लगाने को कहा है। श्रीलंका सरकार की इस पहल से घरेलू नारियल तेल उद्योग को लाभ मिल सकता है।
राष्ट्रपति सचिवालय ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, पामतेल (कटुपोल) की खेती पर पूरी तरह से रोक होगी।
इसमें कहा गया है कि सीमा शुल्क महानिदेशक को भी इस निर्णय के बारे में सूचित किया गया है और उन्हें सलाह दी गई है कि वे सीमा शुल्क विभाग में पाम तेल कार्गो को स्वीकृति देने से बचें।
आयात एवं निर्यात नियंत्रण विभाग के महानियंत्रक को सलाह दी गई है कि इस आदेश को प्रभावी करने के लिए संबंधित राजपत्र आदेश जारी करे।
राष्ट्रपति ने लगभग छह महीने पहले देश में पाम तेल की खेती पर धीरे-धीरे रोक लगाने का निर्देश दिया था। राष्टूपति सचिवालय ने इसकी जानकारी दी।
इसमें कहा गया था कि ऐसी खेती करने वाली कंपनियों और संस्थाओं को चरणबद्ध तरीके से एक समय में 10 प्रतिशत पेड़ों को उखाड़ कर उसकी जगह हर साल रबर या पर्यावरण अनुकूल फसलों को लगाना होगा ताकि “श्रीलंका को पाम खेती और पाम तेल के उपभोग’’ से मुक्त किया जा सके।
आदेश में कहा गया है कि जब यह पूरी तरह से लागू हो जाता है, तो सरकार का इरादा पामतेल की खेती और पाम तेल की खपत को पूरी तरह से रोक देने का है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, श्रीलंका अपने देश में मलेशिया और इंडोनेशिया से सालाना लगभग दो लाख टन पाम तेल का आयात करता है।
सरकार के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया में उपभोक्ता संरक्षण सोसायटी ने फैसले का स्वागत किया है। सोसायटी के रंजीत विथानागे ने कहा कि इस निर्णय से स्थानीय नारियल तेल उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
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राजेश महाबीर
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