श्रीनिवास बी वी : इन्सानियत को राजनीति पर तरजीह देने वाला कर्मठ युवा नेता | Srinivas A YOUNG LEADER WHO PREFERS INSANIAT OVER POLITICS

श्रीनिवास बी वी : इन्सानियत को राजनीति पर तरजीह देने वाला कर्मठ युवा नेता

श्रीनिवास बी वी : इन्सानियत को राजनीति पर तरजीह देने वाला कर्मठ युवा नेता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : May 2, 2021/11:02 am IST

नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) वह कर्नाटक के एक गैर राजनीतिक परिवार से आते हैं और राजनीति के दॉवपेंच की बजाय इन्सानियत की बात करते हैं, उन्हें फोन कीजिए तो देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज सुनाई देती है, जो लोकतंत्र के मायने समझाती हैं, देश में कोरोना पीड़ितों की समस्याओं को कम करने के लिए वह पिछले एक वर्ष से दिनरात काम कर रहे हैं और इस बात से परेशान हैं कि कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए कोरोना को भी ‘इवेंट’ बना दिया है। हम बात कर रहे हैं भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी की जो अपने काम करने के अंदाज और हर जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाने के जज्बे के साथ संकट की इस घड़ी में हजारों लोगों के मसीहा बन गए हैं।

कर्नाटक के शिमोगा जिले के भद्रावती में बालिजा समुदाय (ओबीसी) के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे श्रीनिवास का राजनीति से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। उनके परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं रहा। यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि उन्हें क्रिकेट का शौक था और वह कर्नाटक की अंडर-16 टीम का हिस्सा भी रहे।

क्रिकेट में व्यस्तता के चलते श्रीनिवास अपनी स्नातक की बढ़ाई पूरी नहीं कर सके। क्रिकेट खेलने के दौरान ही उनके साथ एक निजी कंपनी ने अनुबंध किया और उन्होंने कुछ समय के लिए उस कंपनी में एक वरिष्ठ पदाधिकारी के तौर पर सेवा दी।

क्रिकेट में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद उन्होंने राजनीति का रुख किया। नेशनल कॉलेज, बासवनागुडी में पढ़ाई के दौरान एनएसयूआई सदस्य के तौर पर उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ और अपने मुखर विचारों और स्पष्ट राजनीतिक सोच के दम पर वह पहले ब्लाक स्तर पर, फिर जिला स्तर पर, फिर राज्य स्तर पर और फिर राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय युवा कांग्रेस का मजबूत चेहरा बनते चले गए।

जमीनी स्तर के एक जुझारू कार्यकर्ता के तौर पर पहचान बनाने के बाद 40 वर्षीय श्रीनिवास पहले युवा कांग्रेस के 2014 में सचिव और फिर कुछ साल बाद महासचिव बने। साल 2018 में श्रीनिवास ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के देवरिया से ताल्लुक रखने वाले केशव चंद यादव को युवा कांग्रेस का अध्यक्ष और श्रीनिवास को उपाध्यक्ष बनाया।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद केशव चंद यादव ने युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो इसके बाद श्रीनिवास को संगठन के अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। साल 2020 में उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया।

युवा कांग्रेस के प्रमुख जिम्मेदारी संभालते हुए श्रीनिवास ने केंद्र सरकार के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन और मार्च का आयोजन किया। संशोधित नागरिकता कानून और तीनों कृषि कानूनों को लेकर उनकी अगुवाई में युवा कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ कई कार्यक्रमों का आयोजन किया।

वह पार्टी नेतृत्व और मीडिया की नजरों में उस वक्त् आए जब 2020 में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों और दूसरे जरूरतमंदों की बढ़चढ़कर मदद की।

इस साल कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद श्रीनिवास कई जरूतमंदों के लिए मसीहा बन गए। युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों के मुताबिक, श्रीनिवास की अगुवाई में राष्ट्रीय स्तर पर इन दिनों करीब 1000 कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे हैं। कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा और ऑक्सीजन का प्रबंध करने से लेकर लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने और जरूरतमंदों के लिए खाने का इंतजाम करने तक, ये सभी काम युवा कांग्रेस इन दिनों उनकी अगुवाई में कर रही है।

उनके प्रयासों की नतीजा यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी की कई बैठकों में श्रीनिवास के कामों की तारीफ कर चुके हैं। ट्विटर पर लोगों की मदद की गुहार पर फौरन हरकत में आने वाले श्रीनिवास सोशल मीडिया में भी खूब तारीफ बटोर रहे हैं।

श्रीनिवास का मानना है कि कोरोना को अपने फायदे की तरह ‘अवसर’ की तरह इस्तेमाल करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से भी हालात सुधर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि 7 मार्च को पार्टी नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जब अगले छह माह का पार्टी का रोडमैप तैयार किया गया था तो उसमें कोविड के खिलाफ संघर्ष में देशवासियों की मदद को पहले स्थान पर रखा गया था।

श्रीनिवास को इस बात का रंज है कि उनके पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह बड़े पैमाने पर देशवासियों की मदद के लिए कोई ठोस कदम उठा सकें। वह कहते हैं, ‘‘हम सरकार में नहीं हैं इसलिए चाहकर भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।’’

भाषा एकता

एकता हक

मनीषा

 

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