केरल में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति को लेकर यूडीएफ में मतभेद | UDF differs over minority scholarships in Kerala

केरल में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति को लेकर यूडीएफ में मतभेद

केरल में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति को लेकर यूडीएफ में मतभेद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : July 17, 2021/1:38 pm IST

कोट्टायम/मलप्पुरम, 17 जुलाई (भाषा) केरल में 2011 की जनगणना के अनुसार मुसलमानों और पिछड़े ईसाइयों के लिए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति अनुपात के पुनर्गठन के लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार के फैसले को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ में मतभेद पैदा हो गए हैं।

एक ओर कांग्रेस ने राज्य सरकार के फैसले का ”आंशिक रूप से” स्वागत किया तो दूसरी ओर यूडीएफ में उसके प्रमुख सहयोगी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने राज्य सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए इसका विरोध किया।

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीसन ने शनिवार को राज्य सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला विपक्ष की इस मांग को देखते हुए लिया गया कि नयी योजना को लागू करते समय किसी भी समुदाय को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।

हालांकि, जब आईयूएमएल ने विरोध स्वरूप कहा कि राज्य में अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए एक नयी योजना शुरू करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के कारण मुस्लिम समुदाय को भारी नुकसान हुआ, तो कांग्रेस नेता को कुछ ही घंटे में स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा।

दरअसल, केरल उच्च न्यायालय ने मुसलमानों, लैटिन ईसाइयों और धर्मांतरित ईसाइयों को 80:20 के अनुपात में छात्रवृत्ति प्रदान करने के 2015 के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति अनुपात का पुनर्गठन करने का फैसला किया।

सरकार ने कहा है, ”छात्रवृत्ति अनुपात को इस तरह से पुनर्गठित किया जाएगा कि कोई भी समुदाय लाभ से वंचित न रहे।”

सतीसन ने आज मीडिया से बात करते हुए इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यूडीएफ की मुख्य मांग छात्रों (मुस्लिम समुदाय से संबंधित) को दी जा रही छात्रवृत्ति की संख्या को कम नहीं करना है।

उन्होंने कहा कि यूडीएफ ने अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को छात्रवृत्ति देने की भी मांग की थी।

सतीसन ने कहा कि सरकार के फैसले से किसी समुदाय को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

हालांकि मुस्लिम लीग के नेताओं के विरोध के बाद, सतीसन ने फिर से मीडिया से मुलाकात की और आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने यूडीएफ (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) के फार्मूले को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है।

सतीसन ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि उनके बयान की गलत व्याख्या की गई और उन्होंने कहा था कि सरकार ने केवल आंशिक रूप से फॉर्मूले को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि सरकार को मुस्लिम लीग की शिकायतों का भी समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूडीएफ इस मामले पर चर्चा करेगा।

इससे पहले, सादिक अली शिहाब थंगल, पी के कुन्हालीकुट्टी, ईटी मोहम्मद बशीर और केपीए मजीद सहित आईयूएमएल के शीर्ष नेताओँ ने राज्य सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के फैसले के कारण मुस्लिम समुदाय ने सच्चर समिति की सिफारिश के आधार पर शुरू की गई एक विशेष योजना का लाभ खो दिया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि सच्चर समिति की सिफारिशों के आधार पर शुरू की गईं सरकारी योजनाओं का लाभ केवल मुस्लिम समुदाय को मिलना चाहिये।

भाषा जोहेब नीरज

नीरज

 

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