रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह को चिटफंड कंपनी कांड में अभियुक्त बनाए जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस ने पूर्व सीएम और भाजपा पर निशाना साधा है। पीसीसी प्रवक्ता विकास तिवारी ने पूछा है कि अपने पुत्र अभिषेक सिंह को चिटफंड कांड में अभियुक्त बनाए जाने पर डॉ रमन सिंह क्या कहेंगे। प्रवक्ता तिवारी ने कहा है कि पिछले 15 सालों में भाजपा शासन में प्रदेश की जनता को सुनियोजित तरीके से पूर्ववर्ती रमन सरकार द्वारा लूटा जा रहा था। उनके खून पसीने और मेहनत की गाढ़ी कमाई को प्रदेश से बाहर भेजने का भी षड्यंत्र किया जा रहा था, जिसमें तकरीबन दस हजार करोड़ से भी ज्यादा की राशि प्रदेश से बाहर भेजी गई थी।
तिवारी ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने विधानसभा और सार्वजनिक सभाओं में भी बताया था कि इस चिटफंड कंपनी के लूट के पीछे भाजपा सरकार के सत्ता के शीर्ष पदों में बैठे लोग और उनके परिजन शामिल हैं। हाल में ही विशेष न्यायालय अंबिकापुर ने एक चिटफंड कंपनी द्वारा ठगे गए व्यक्ति ज्ञान दास निवासी ग्राम सुमेरपुर लुण्ड्रा के आवेदन पर 20 से अधिक अभियुक्तों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है। तिवारी ने कहा कि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के पुत्र पूर्व सांसद अभिषेक सिंह और नांदगांव के पूर्व महापौर मधुसूदन यादव सहित सभी अभियुक्तों के ऊपर धारा 10, निवेशकों के हित का संरक्षण अधिनियम 2005 अपठित धारा 346, पुरस्कार चिट्स और धन परिसंचरण योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम 1978 की धारा 34, अर्थशोधन विवरण अधिनियम 2002 एवं धारा 420,406,467,468,471 120 बी, 384 भारतीय दंड संहिता के तहत पर्याप्त आधार हो माना गया है। न्यायालय ने पुलिस विभाग को इस पर अविलंब अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए आदेशित भी किया है।
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प्रवक्ता तिवारी ने आगे कहा, इससे तो यह स्पष्ट है कि बीजेपी के रमनराज में ही प्रदेश की जनता से उनकी गाढ़ी कमाई को लूटा गया। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री के परिजन एवं भाजपा के बड़े नेता भी शामिल थे। तिवारी ने भाजपा से सवाल पूछते हुए कहा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को अपने पुत्र मोह के चलते जनता की गुहार भी सुनाई नहीं दे पा रही थी। भाजपा को यह बताना चाहिए कि पूर्व में दर्ज चिटफंड प्रकरणों में निर्दोष चिटफंड एजेंटों को तो जेल भेज दिया गया था पर मुख्य आरोपियों को पूर्ववर्ती सरकार द्वारा क्यों संरक्षण दिया जा रहा था। क्या इस संरक्षण के बदले बीजेपी को और रमन सरकार को किसी प्रकार का मोटा कमीशन मिलता था और उनकी इस चिटफंड लूट में बराबर की साझेदारी तो नही थी।