एयर मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन, नमन कर रहा देश | Air Marshal Arjan Singh's body merged into punch element, the country bowing down

एयर मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन, नमन कर रहा देश

एयर मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन, नमन कर रहा देश

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : September 17, 2017/7:18 am IST

भारतीय वायु सेना के सितारा रहे मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन हो गया। उनके ब्रह्रमलीन शरीर को उनके निवास से बरार स्क्वायर लाय गया था, जहां उनके सम्मान में 21 तोपों की सलामी से साथ फ्लाई पास्ट का आयोजन किया गया। इसके बाद देश के जांबाज सितारे को मुखाग्नि दी गई। मार्शल अर्जन सिंह के सम्मान में नई दिल्ली की सभी सरकारी इमारतों पर लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया। इससे पहले दिवंगत पुर्व वायु सेना प्रमुख को रक्षा मंत्री, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहीं एक दिन पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंदप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जन सिंह के घर जाकर उनके अंतिम दर्शन किए थे। 

 

एयर मार्शल अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार सोमवार को दिल्ली के बरार स्क्वेयर पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इसी के साथ भारतीय वायुसेना के इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले जांबाज़ और भारतीय वायुसेना के सबसे चमकने वाले सितारे की सिर्फ यादें शेष रह जाएंगी। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना का नेतृत्व करने वाले मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार शाम को निधन हो गया था। वह 98 वर्ष के थे। अर्जन सिंह देश के इकलौते ऐसे वायुसेना अधिकारी थे, जो पदोन्नत होकर पांच सितारों वाली रैंक तक पहुंचे थे। यह रैंक थलसेना के फील्ड मार्शल के बराबर होती है। उन्हें शनिवार सुबह दिल का दौरा पड़ने पर सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

दिवंगत अर्जन सिंह का नाम भारतीय वायुसेना के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। सितंबर 1965 में पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम के तहत भारत पर हमला बोल दिया था। अखनूर जैसे अहम शहर को निशाना बनाया गया। उस समय रक्षा मंत्री ने वायुसेना प्रमुख रहे अर्जन सिंह को अपने दफ्तर में बुलाया और उनसे कार्रवाई को लेकर विचार-विमर्श किया। बताया जाता है कि जब रक्षा मंत्री ने अर्जन सिंह से पूछा कि वायुसेना को जवाबी कार्रवाई की तैयारी में कितना वक्त लगेगा तो इसपर अर्जन सिंह का जवाब था-एक घंटा..और अदभुत वीरता की मिसाल पेश करते हुए इससे भी कम वक्त में उन्होंने पाकिस्तान पर ऐसा जबर्दस्त पलटवार किया कि पाकिस्तान के हौसले पस्त हो गए।

मार्शल अर्जन सिंह भारतीय सैन्य इतिहास के ऐसे सितारे थे, जिन्होंने 1965 के भारत–पाकिस्तान युद्ध में सिर्फ 44 वर्ष की उम्र में अनुभवहीन भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था। यही नहीं, देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त, 1947 को लालकिले के ऊपर सौ से ज्यादा वायुसेना विमानों के फ्लाइपास्ट का नेतृत्व करने का गौरव भी उन्हें हासिल था। उन्हें एक अगस्त, 1964 को चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) नियुक्त किया गया था। वह ऐसे पहले सीएएस थे, जिन्होंने वायुसेना प्रमुख बनने तक अपनी फ्लाइंग कैटेगरी को बरकरार रखा।

1969 में वायुसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें 1971 में स्विट्जरलैंड में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। इसके बाद 1974 में केन्या में भारतीय उच्चायुक्त नियुक्त किए गए। 1989 में दिल्ली के उपराज्यपाल भी बने। 2002 में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें मार्शल की रैंक प्रदान की गई। युद्ध में कुशल नेतृत्व के लिए उन्हें पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था।