जोगी-सीपीआई का गठबंधन आगे भी रहेगा, पार्टी का नाम बदलने पर भी विचार | Ajit Jogi declares CPI-M to form party,

जोगी-सीपीआई का गठबंधन आगे भी रहेगा, पार्टी का नाम बदलने पर भी विचार

जोगी-सीपीआई का गठबंधन आगे भी रहेगा, पार्टी का नाम बदलने पर भी विचार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:07 PM IST, Published Date : December 19, 2018/4:28 pm IST

रायपुर। जनता कांग्रेस सुप्रीमो अजीत जोगी ने बड़ा ऐलान किया है। अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस जोगी सीपीआई से गठबंधन करेगी। आगामी पंचायत, नगरीय निकाय और छात्र संघ चुनाव जोगी कांग्रेस और सीपीआई मिलकर लड़ेगी। जोगी ने प्रेसवार्ता कर ये जानकारी दी है।

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जोगी ने बताया कि विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस 7 सीटें जीतीं जिसमें अकलतरा, चंदरपुर और तखतपुर जैसी 7 अन्य सीटों में बहुत कम अंतर से दूसरे स्थान पर रही और 15 सीटों में उम्मीदवारों को 30% से ज्यादा वोट मिला। जोगी ने बताया कि लोकसभा की दो सीटों जांजगीर और बिलासपुर में जोगी पार्टी के पास दोनों राष्ट्रीय दलों की तुलना में ज्यादा वोट शेयर है।

उनका मानना है कि अब भी ज्यादातर मतदाता कांग्रेस के साथ जोगी की पहचान करते हैं क्योंकि हमारी पार्टी का नाम ‘जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे’ है। इस संबंध में, सवप्रथम, हमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से अपने आप की अलग पहचान स्थापित करने के लिए और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। दूसरा, हमें बस्तर और सरगुजा संभागों में नए सिरे से शुरुआत करने की जरूरत है, जहां, हमारे कड़ी मेहनत के बावजूद, हम कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं डाल पाए हैं। तीसरा, हम एक गैर-कांग्रेस गैर-बीजेपी गठबंधन के हिस्से के रूप में बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बेहन मायावती जी के साथ मिलकर राज्य की सभी 11 लोकसभा सीटों में छत्तीसगढ़ के लोगों को राष्ट्रीय राजनीति में सशक्त आवाज देने के स्पष्ट उद्देश्य के साथ चुनाव लड़ेंगे। चौथा, हम अपने उम्मीदवारों को इस साल के अंत में होने वाले सभी स्थानीय नगरी निकाय और पंचायत चुनावों में भी मैदान में उतारेंगे। पाँचवा, हमारा गठबंधन सहयोगी सीपीआई और एआईटीयूसी के साथ मिलकर, राज्य में श्रमिकों के आंदोलन को मजबूत करने और असंगठित क्षेत्र तक विस्तारित करने के लिए अथक रूप से काम करेगा। छठवा, हम छात्रों को राजनीतिक मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य में सभी छात्र संगठन चुनावों में भाग लेंगे। सातवाँ, हम अपने पार्टी को राज्यव्यापी सर्व-समावेशी लोगों के आंदोलन में बदलने के लिए अथक रूप से काम करेंगे जो छत्तीसगढ़ के सभी लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं- जिन्हें हमारे सर्वोच्च नेता के 14-बिन्दु शपथ पत्र में हम उल्लेखित कर चुके हैं- पर खरा उतरे

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मध्यप्रदेश और राजस्थान का हवाला देते हुए जोगी ने कहा कि बीजेपी अगर दोनों राज्यों की तरह सम्मानजनक स्थिति में रहती तो निश्चिततौर पर हमारे गठबंधन ने निश्चित रूप से सरकार के गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होती। जोगी के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 80 प्रतिशत सीटों में मुकाबला त्रिकोणी नहीं रहा यह ‘सत्ता’ और जनता के बीच सीधा मुकाबला था।

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चूंकि राज्य के लोगों ने इसके पहले कभी भी तीसरे विकल्प को नहीं देखा था, इसलिए उन्होंने कांग्रेस और भाजपा को एकमात्र व्यवहारिक विकल्प के रूप में देखकर उसे वोट दिया। यहां तक ​​कि बीजेपी के मूल मतदाता भी कांग्रेस को बड़े पैमाने में स्थानांतरित हो गए जिसके चलते कांग्रेस के अधिकांश उम्मीदवारों ने 35,000 + वोटों से अधिक मार्जिन से जीत हासिल की। जोगी ने कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी का स्वागत तो किया लेकिन इस पर सवाल भी उठाया  जोगी ने कहा कि किसानों को 2500 रूपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य और सहकारी बैंकों से लिए गए कर्ज की कर्जमाफी के निर्णय का हम स्वागत करते हैं। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि 90% किसानों ने साहुकारों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं जैसे नाबार्ड आदि से कर्ज लिया हुआ है। उन्हें कर्जमाफी का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा? इसे सिर्फ सहकारी बैंकों तक क्यों सीमित कर रखा है? पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने आपातकाल के दौरान किसानों के सभी प्रकार के ऋण की एकमुश्त कर्जमाफी की घोषणा की थी। ऐसा ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी करना चाहिए। तभी उनका चुनाव पूर्व जन घोषणा पत्र में किया गया वायदा पूरा होगा। 

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अजीत जोगी ने राज्य सरकार पर आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग की अव्हेलना किये जाने का आरोप लगाया है। जोगी ने कहा कि सामूहिक नेतृत्व दर्शाने के लिए कई दिनों की मशक्कत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ दो अन्य मंत्रियों टी.एस. सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू का मंत्री के रूप में शपथ लेना स्वागतयोग्य है लेकिन जिस आदिवासी समाज ने अनुसूचित जनजाति की आरक्षित 25 सीटों पर कांग्रेस के विधायकों को जिता कर भेजा और अनुसूचित जाति  जिसने अपनी आरक्षित 6 सीटों पर कांग्रेस को जिताया, क्या इन समाज के किसी विधायक को भी मुख्यमंत्री के शपथग्रहण के दिन इन वर्गों के मंत्रियों के साथ मंत्रिपद की शपथ नहीं दिलवाई जानी थी?

 
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