कोरबा। ग्रामीण इलाकों में इमरजेंसी सेवा या हादसे में हताहत लोगों के लिए 108 एंबुलेंस मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। पहले एंबुलेंस की सेवाओं को लेकर अक्सर शिकायतें मिलती थी, कि वो वक्त पर अपनी सेवाएं देने में नाकाम हो रही है। लेकिन हम जो खबर आपको बताने वाले हैं वो इन आरोपों के खंडन करने के लिए पर्याप्त है। बल्कि इनके काम की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है।
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कोरबा के दूरस्थ गांव लेमरू निवासी एक पहाड़ी कोरवा महिला की तबाीयत खराब होने की खबर पर 108 की टीम महिला को लेने पहुंची। लेकिन गांव का रास्ता खराब होने के कारण एंबुलेंस महिला के गांव तक नहीं जा सकी।
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एंबुलेंस जहां खड़ी थी वहां से गांव करीब 3 किलोमीटर दूर था। टीम ने बिना देरी किए पैदल ही महिला को लेने निकल पड़ी। 3 किलोमीटर पैदल चलकर 108 की टीम ने महिला को एंबुलेंस तक पहुंचाया। और उसे अस्पताल में भर्ती कराया। आपको बतातें छत्तीसगढ़ में कोरवा जनजाति संरक्षित जनजातियों में से एक है, इन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है।
वेब डेस्क, IBC24