भोपाल। मध्यप्रदेश में आरएसएस के सहयोगी संगठनों की रिपोर्ट ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मध्यप्रदेश में डेढ़ दशक से सत्ता पर काबिज भाजपा की स्थिति इस बार खराब बताए जाने के बाद अब संघ के अनुषांगिक संगठनों ने भी इसी तरह की रिपोर्ट दी है। इससे पार्टी की चिंता और बढ़ गई है। यही वजह है कि दो दिवसीय दौरे पर आए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सीएम से मंत्रणा करने के बाद अचानक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यालय में संघ नेताओं से चर्चा करने गए। बीते दिनों से से जिस तरह मध्य प्रदेश के बड़े नेता संघ नेताओं के साथ लंबी बैठक कर रहे हैं उसे देखकर यही लग रहा है कि मध्य प्रदेश में इस बार बीजेपी की चुनावी कमान संघ के हाथ में ही रहने वाली है।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भोपाल दौरे के दौरान बीजेपी की कमजोर चुनावी रणनीति से नाराजगी के बाद आरएसएस के अनुषांगिक संगठन की शिवराज सरकार को मिली रिपोर्ट ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आरएसएस की रिपोर्ट के बाद मध्यप्रदेश दौरे में अमित शाह ने जिस तरह संघ कार्यालय में बड़े नेताओं से मुलाकत की, उसके बाद भोपाल के आरएसएस कार्यालय में हलचल तेज हो गई है। बीजेपी को चौथी बार सत्ता दिलाने के लिए खुद अमित शाह ने आरएसएस से चुनाव में सीधे मदद मांगी है।
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अमित शाह के दौरे के बाद बीते दिन दिनों से संघ कार्यालय में बीजेपी के बड़े नेताओ की अलग–अलग बैठकें बता रही हैं कि इस बार चुनाव की मुख्य कमान आरएसएस के हाथ में ही रहने वाली है, हालांकि आरएसएस के नेता खुद को चुनाव और राजनीति से दूर बताते हैं। अमित शाह के साथ संघ के नेताओं की हुई बैठक में तय हुआ कि हर बूथ पर ‘बी टीम’ के रूप में संघ के दो स्वयंसेवक रहेंगे। कहीं भी यदि भाजपा का मूल कार्यकर्ता काम नहीं करेगा तो संघ की टीम उतर जाएगी। इसके बाद इस रणनीति को अंजाम देने के लिए मध्यप्रदेश बीजेपी के बड़े नेता संघ के पदाधिकारियों से लग अलग स्तर पर बैठक कर रहे है।
बीजेपी संघ के नेताओं के साथ अपनी रणनीति का खुलसा नहीं करना चाहती है। वहीं संघ को लेकर आरोप लगाने वाली कांग्रेस को इन मुलाकातो ने उसके आरोपों को पुख्ता होने का मानो प्रमाण दे दिया है। वहीं आरएएस के सर्वे ने कांग्रेस को खुश होने का मौका भी जरूर दे दिया है।
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आरएसएस की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए स्थिति चुनाव के अनुकूल नहीं है। इसकी दो वजह प्रमुख रुप से बताई गई। इनमें सवर्ण आंदोलन और आदिवासियों में जयस की बढ़ती पैठ को बड़ा कारण बताया गया है। सवर्ण आंदोलन के लिए सूबे के मुखिया शिवराज सिंह को बड़ी वजह बताया गया है। इस रिपोर्ट के बाद चुनावी मैदान में आरएसएस बीजेपी की बी टीम के रूप में काम करता हुआ नजर आएगा।
वेब डेस्क, IBC24