राज्य सरकार शिक्षा के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर हर स्तर पर कोशिश कर रही है कि शिक्षा में गुणवत्ता आए. वहीं जिम्मेदारों के उदासीन रवैये के चलते शिक्षा सरकार की ये कोशिश सफल नहीं हो पा रही है… ऐसा ही एक मामला सरगीगुड़ा पंचायत में देखने को मिला है, जहां पांच कक्षाओ के 70 बच्चो के लिये एक शिक्षक ही है उससे भी बडी दुभाग्य कि बात यह है कि यहां केवल 2 कमरे के स्कूल भवन के 1 कमरे में पिछले 1 साल से राशन की दुकान चलाई जा रही है. एक छोटे से कमरे में स्कूल के एक मांत्र शिक्षक पांच कक्षाएं लगाने को मजबूर है. उस पर भी स्कुल से जुडी विभीन्न जानकरी आदी भी स्वयं हि को भेजनी होती है ऐसे यहां कि पढाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
शिक्षक जोगेश जायसवाल बताते हैं कि मामले की सूचना जिम्मेदार अधिकारियों को साल 2016 के जून महीने में दे दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके चलते किसी तरह मजबूरीवश उन्हें एक ही कमरे में स्कूल का संचालन करना पड़ रहा है. .इस मामले मे अधिकारी सिर्फ आगे की योजनाएं गिनाने में लगे हैं। कहते है बच्चे देश का भविष्य होते है लेकिन स्कुलो और शिक्षा व्यवस्था कि एसी दुदर्शा देखकर लगता है कि देश का भविष्य सुधारन कि बजाय बिगाडने में लगे हे यहां के जिम्मेदार।