सावधान यहां लगता है भूतों का मेला.... | Attention here is the ghosts fair ..

सावधान यहां लगता है भूतों का मेला….

सावधान यहां लगता है भूतों का मेला....

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : September 20, 2017/1:44 pm IST

हरदा जिले के नर्मदा तट हंडिया तथा देवास जिले के तट नेमावर में हर साल की तरह इस बार भी श्राद्ध पक्ष की सर्वपितृमोक्ष अमावस्या पर लाखों की तादाद में श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे। इस दौरान पितरों को तर्पण के साथ ही बाहरी (प्रेत) बाधा दूर करने का दौर सारी रात चला। मंगलवार दोपहर से ही घाटों पर पड़िहारों के मजमें जमने लगे। सारी रात ढोलक की थाप पर भजन-कीर्तन के साथ ही पड़िहारों ने पीड़ित लोगों की समस्याओं को सुनकर उन्हें दूर करने के उपाय बताए। इस दौरान बाहरी बाधा दूर करने के कई रोचक नजारे पेश आए। खास बात यह रही घाटों पर प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। घाटों पर दिल दहला देने वाली तरह-तरह की तांत्रिक क्रियाओं का दौर सारी रात चला।

हरेली से जुड़े कई अंधविश्वास ..इसलिए लगाते हैं नीम की डाल

नर्मदा के तट पर रात गहराने के साथ-साथ दूर इलाकों से आने वाले भक्तों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। यह भक्त कई किलोमीटर पैदल चलकर नर्मदा में स्नान के लिए डेरा डाल रहे थे। देर रात भक्तों का तातां भूतड़ी अमावस्या के स्नान के लिए जुटता जा रहा था। श्रदालुओं का मानना है कि आज की रात जिन्हें भूत प्रेत आते हैं वह नर्मदा का नीर लेकर शुद्ध हो जाते हैं। चमत्कारों का वैज्ञानिक कारण हम चाहे जितना भी समझते हैं लेकिन ग्रामीण जनता तो उन्हें देखकर आज भी सच ही मानती है। ऐसे ही कुछ दृश्य नर्मदा के घाटों पर भी देखने को मिल रहा था। यहां भूत-प्रेत के साथ-साथ गंभीर बीमारियों का इलाज भी इतने भयानक तरीके से किया जा रहा था की रूह कांप उठे । अमावस्या की इस काली रात में लाखों श्रद्धालुओं की अपार भीड़ के बीच चलना भी दूभर हो जाता हैै। वही भीड़ हर पल बढ़ती जा रही थी। अमावस्या के इस गहरे अंधकार को हम महसूस कर रहे थे। लेकिन ग्रामीण इसे चमत्कार मानकर नमस्कार करते जा रहे थे। 

अंधविश्वास या परंपरा! आग भरे गड्डे से नंगे पांव गुजरते है लोग

नर्मदा घाटों पर जगह जगह देवी देवताओं की धाम लगी नजर आ रही थी। जिन्हें देव की पवन आती है उन्हें पड़िहार कहा जाता है, जो जंग खाई तलवार से लोगों की जटिल से जटिल बीमारियों के इलाज का दावा करते नजर आ रहे थे। रात गहराने के साथ भक्त लोग ढोल नगाड़ों की तेज गूंज पर भजनों के माध्यम से इन आत्माओं को आमंत्रित करते हैं। जैसे-जैसे रात गहराती जाती है नगाड़ों की ताल तेज होते जाती है। आत्मा शरीर में प्रवेश कर दैवीय शक्ति आने का दावा करने वाले लोग जमीन पर लोटते और नाचने लगते हैं। इस तरह के अंधविश्वास को रोकने की बजाय आला अधिकारी इन्हें सुरक्षा प्रदान करते दिखे। जब हमने इन अधिकारियों से इस बारे में पूछा तो सभी इस विषय पर कैमरे के सामने बोलने से बचते रहे। ग्रामीणों का मानना है कि देवीय शक्तियां उनकी हर प्रकार की बाधाओं, पीड़ाओं और दुख को दूर करती हैं। पीड़ित लोगों की चीख पुकार रात भर सुनने को मिलती रही। कोई पड़िहार अपनी जीभ को तलवार से काट कर गंभीर बीमारियों का इलाज कर चिकित्सा विज्ञान को चुनौती देता नजर आ रहा था, तो कोई बाहरी बाधा को दूर करने का दावा करता दिखा। जिसमें ग्रामीणों के साथ साथ शहर के पढ़े लिखे लोग भी शामिल होकर अपनी परेशानियों को दूर करने इन पड़िहारों के दरबार में आकर गुहार लगाते देखे जा रहे थे। 

कब भागेगा अंधविश्वास का भूत, युवती के सिर में उड़ेला गर्म तेल

जैसे-जैसे अमावस्या की काली रात गहराने लगती है, दूर दराज से आए भक्तों की टोलियां अपने अपने पड़िहार के साथ बैठकर ढोल और नगाड़ों की तेज आवाज के साथ भूतों और आत्माओं को आमंत्रित करना शुरू कर देते हैं। कोई नर्मदा तट पर शंखनाद कर रहा है तो कोई नर्मदा के जल में डुबकी लगाकर किलकारियां मार रहा होता है। भले ही हम कितना भी पढ़े लिखे होने का दावा करें, लेकिन अमावस्या की इस काली रात में यहां आने वाले हर बूढ़े, जवान, अनपढ़, पढ़े लिखे की इन पड़िहारों और दैवीय शक्तियों के प्रति आस्था देखते ही बनती है। हर जगह बस दुरूखों और बीमारियों को दूर करने के लिए अरदास लगाई जा रही है। आप मानें या ना मानें लेकिन यहां आने वाले भक्तों को इन दैवीय शक्तियों से कुछ ना कुछ फायदा तो जरूर मिलता ही होगा। जिससे चलते उनकी इन पर अटूट आस्था है। अगर आपको लगता है कि यह सारी बातें अंधविश्वास से प्ररित हैं तो फिर आज तक प्रशासन या किसी समाजसेवी संस्था ने इस तरह के काम को रोकने या कहें सही उपाय खोजने की जरुरत क्यों नहीं समझी। 

शव को जिंदा करने के लिए पांच घंटे तक पानी में डूबाए रखा !

पिछले कई सालों से हरदा और देवास जिले के नर्मदा तटों पर आला अधिकारियों की मौजूदगी में पूरी रात चल रही तंत्र मंत्र की क्रियाएं समझ से परे हैं। यहां ऐसा महसूस किया जाता है कि आज भी तंत्र मंत्र के आगे विज्ञान नहीं पहंुच पाया है।