मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, दान, स्नान और पूजन का महत्व.. जानिए | Auspicious time of Makar Sankranti, importance of donation, bath and worship .. Know

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, दान, स्नान और पूजन का महत्व.. जानिए

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, दान, स्नान और पूजन का महत्व.. जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : January 14, 2020/3:21 am IST

रायपुर। आजमकर संक्रांति’ पर्व है, इस साल 14 जनवरी संध्या में सूर्य उत्तरायण होंगे यानी सूर्य अपनी चाल बदलकर धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। दरसल मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि का ही प्रतीक है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण करना है|। सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है। मकर संक्रांति’ पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान कर व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्व है।

आज का पंचांग-

     दिनांक 14.01.2020

     शुभ संवत 2076 शक 1941 …

     सूर्य दक्षिणायन का …

माघ मास कृष्ण पक्ष – चतुर्थी तिथि.. दोपहर 02 बजकर 50 मिनट तक … मंगलवार …मघा नक्षत्र … दिन को 07 बजकर 55 मिनट तक … आज चंद्रमा … सिंह राशि में … आज का राहुकाल दोपहर को 02 बजकर 56 मिनट से 04 बजकर 18 मिनट तक होगा …

शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों का विशेष महत्व है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस वर्ष महोदर नाम की संक्रांति में बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में संक्रांति मनाई जाएगी।

साल 2020 में सूर्य 14 जनवरी की शाम को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। चूंकि संक्रांति का पुण्य स्नान सूर्योदय पर किया जाता है, इसलिए इस बार संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को संक्रांति ‘गर्दभ’ पर सवार होकर आ रही है। संक्रांति का उपवाहन मेष है। संक्रांति गर्दभ पर सवार होकर गुलाबी वस्त्र धारण करके मिठाई का भक्षण करते हुए दक्षिण से पश्चिम दिशा की ओर जाएगी।14 जनवरी को शाम 7.53 बजे सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त के बाद होगा। इसके चलते पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह श्रेष्ठ रहेगा।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त-

15 जनवरी को पुण्य काल, सुबह 7.19 से शाम 5.46 बजे तक

महापुण्य काल 7.19 से 9.03 बजे तक

मकर संक्रांति के दिन दान-दक्षिणा का विशेष महत्व-

इस दिन  किया गया दान पुण्य और अनुष्ठान अभीष्ठ फल देने वाला होता है।

मकर संक्रांति का इतिहास श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण के मुताबिक, शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लिया था, इस बात से नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था। यमराज ने की थी तपस्या पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए। यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की। लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया। इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया। तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे। मकर में हुआ सूर्य का प्रवेश कुंभ राशि में सब कुछ जला हुआ था। उस समय शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की। शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा। तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था इसलिए शनि देव को तिल प्रिय है। इसी समय से मकर संक्राति पर तिल से सूर्य एवं शनि की पूजा का नियम शुरू हुआ। काले तिल से की पूजा शनि देव की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति मकर संक्राति के दिन काले तिल से सूर्य की पूजा करेगा उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे। इस दिन तिल से सूर्य पूजा करने पर आरोग्य सुख में वृद्धि होती है। शनि के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं तथा आर्थिक उन्नति होती है। तिल का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण करना चाहिए। भीष्म पितामाह ने चुना था आज का दिन मान्यता है कि इस अवसर पर दिया गया दान 100 गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

 मकर संक्रांति का फल : छोटे व्यवसाय वालों के लिए फलदायी,वस्तुओं की लागत सस्ती होगी,बारिश के अभाव में अकाल की संभावना,पड़ोसी राष्ट्रों के बीच संघर्षन – ज्यादातर लोग ठंड, खांसी से पीड़ित रहेंगे,महोदर नाम की संक्रांति में बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में संक्रांति मनाई जाएगी। इस योग में दान-पुण्य करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।

माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकंबलम।

स भुक्त्वा सकलान भोगान अंते मोक्षं प्राप्यति॥

मोक्ष प्राप्ति के गंगा स्नान-

सनातन धर्म में मकर संक्रांति को मोक्ष की सीढ़ी बताया गया है। मान्यता है कि इसी तिथि पर भीष्म पितामह को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसके साथ ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाते हैं जिस कारण से खरमास समाप्त हो जाता है। प्रयाग में कल्पवास भी मकर संक्रांति से शुरू होता है। इस दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है। गंगा स्नान को मोक्ष का रास्ता माना जाता है और इसी कारण से लोग इस तिथि पर गंगा स्नान के साथ दान करते हैं।

शनि की प्रिय वस्तुओं के दान से बरसती है कृपा-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव जब मकर राशि में आते हैं तो शनि की प्रिय वस्तुओं के दान से भक्तों पर सूर्य की कृपा बरसती है। इस कारण मकर संक्रांति के दिन तिल निर्मित वस्तुओं का दान शनिदेव की विशेष कृपा को घर परिवार में लाता है। आइए जानते हैं कि इस दिन राशि अनुसार किस चीज का दान करने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति के साथ उसका 100 गुना वापस मिलता है।

राशि के अनुसार करें दान-पुण्य-

मेष- तिल-गुड़ का दान दें, उच्च पद की प्राप्ति होगी।
वृष- तिल डालकर अर्घ्य दें, बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी।
मिथुन- जल में तिल, दूर्वा तथा पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें, ऐश्वर्य प्राप्ति होगी।
कर्क- चावल-मिश्री-तिल का दान दें, कलह-संघर्ष, व्यवधानों पर विराम लगेगा।
सिंह- तिल, गुड़, गेहूं, सोना दान दें, नई उपलब्धि होगी।
कन्या- पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें, शुभ समाचार मिलेगा।
तुला- सफेद चंदन, दुग्ध, चावल दान दें। शत्रु अनुकूल होंगे।
वृश्चिक- जल में कुमकुम, गुड़ दान दें, विदेशी कार्यों से लाभ, विदेश यात्रा होगी।
धनु- जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प तथा मिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें, चारों-ओर विजय होगी।
मकर- तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें, अधिकार प्राप्ति होगी।
कुंभ- तेल-तिल का दान दें, विरोधी परास्त होंगे।
मीन- हल्दी, केसर, पीत पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें, सरसों, केसर का दान दें, सम्मान, यश बढ़ेगा।

 

लोहड़ी की धूम