बैंक लोन की EMI की जाए माफ, कोरोना संकट का दिया हवाला, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला | Bank loan EMI should be waived in Corona period Supreme Court gave a big decision

बैंक लोन की EMI की जाए माफ, कोरोना संकट का दिया हवाला, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

बैंक लोन की EMI की जाए माफ, कोरोना संकट का दिया हवाला, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : June 11, 2021/1:31 pm IST

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच लोगों की आमदनी घटी है, सबसे ज्यादा परेशानी में वो लगो हैं जिन्होंने बैंक से लोन ले रखा है। कुछ लोगों का जॉब छूट गया है, तो कुछ को सैलरी कट का भी सामना करना पड़ रहा है। इस बीच लोन की EMI न चुकाने की सुविधा देने की मांग पर सुनवाई से उच्चतम न्यायालय ने इंकार कर दिया है। पिटीशन में दलीली दी गई थी कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते लोने लेने वाले अधिकतर लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को 6 महीने के लोन मोरेटोरियम का ऐलान करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार करते हुए कहा कि वित्तीय नीति पर फैसला लेना सरकार का विषय है। पिटीशनर चाहे तो सरकार को मेमोरेंडम दे सकता है।

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बता दें कि एडवोकेट विशाल तिवारी ने एक पिटीशन के जरिए कहा था कि इस साल कोरोना के चलते मार्केट में आर्थिक समस्याएं हैं। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यम कमाई वाले लोगों पर हो रहा है। पिछले साल तो सरकार ने लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया था, लेकिन इस साल ऐसा नहीं किया है। केंद्र सरकार को 6 महीने के लोन मोरेटोरियम का ऐलान करना चाहिए। इसके तहत बैंक और वित्तीय संस्थानों से लोगों को ऋण की किश्त न चुकाने का विकल्प दिया जाना चाहिए। वहीं टाली गई ईएमआई पर कोई ब्याज न वसूला जाए।

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सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में शामिल जस्टिस अशोक भूषण और एम आर शाह ने कहा कि बीते साल सरकार ने नीति घोषित की थी। इसके बाद कुछ पिटीशनर्स उसके विस्तार के लिए सुप्रीम कोर्ट आए थे, तब कोर्ट ने मामले के कुछ पहलुओं को देखा था। वित्तीय मामलों पर नीति बनाना सरकार का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट इस पर सीधे कोई आदेश नहीं देगा। डबल बेंच ने कहा, “हम वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ नहीं हैं। सरकार को टीकाकरण पर भी खर्च करना है। प्रवासी मजदूरों समेत कई वर्ग हैं, जिन पर बड़ा खर्च करना है। बेहतर हो सरकार को ही इस मसले पर फैसला लेने दिया जाए.”।

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इसके बाद पिटीशनर ने कहा कि अगर माननीय अदालत मोरेटोरियम पर कोई आदेश नहीं देना चाहता तो कम से कम यह लिबर्टी दे कि बैंक लोन न चुकाने पर किसी संपत्ति की नीलामी न करें। इस दलीलीपर कोर्ट ने कहा कि हर मामले के तथ्य अलग होते हैं। हम इस तरह का कोई आदेश नहीं दे सकते हैं कि बैंक ऋण न चुकाने वाले किसी व्यक्ति पर कोई कार्रवाई न करे।