बस्तर बीयर के नाम से मशहूर सल्फी पेड़ को किसी की नजर लग गई है। इसका रस मिलना अब मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि सल्फी पेड़ों को कोई अज्ञात बीमारी लग रही है और इसके तने सूखते जा रहे हैं। पांच सालों से लगातार बढ़ रही इस बीमारी को लेकर वैज्ञानिकों का दावा है कि शोध से उन्होंने इसकी वजह का पता लगा लिया है। लेकिन बस्तर की संस्कृति के इस सबसे खास पेड़ को बचाया कैसे जाएगा ये बड़ा सवाल है..?
छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाकों में पाया जाने वाला ये पाम प्रजाति का सल्फी पेड़ है। इसी पेड़ से सल्फी निकलती है, जो बस्तर बीयर के नाम से मशहूर है। सल्फी बस्तर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और आदिवासियों की आर्थिक संपन्नता का एक बड़ा आधार भी। गांवों में इस पेड़ की पूजा भी होती है। लेकिन पिछले पांच सालों से सल्फी के पेड़ किसी अज्ञात बीमारी के शिकार हो रहे हैं. जिसकी वजह से इनके तने सूख रहे हैं।
बस्तर बीयर देने वाले इस खास पेड़ को बचाए रखने देश के कई यूनिवर्सिटी में शोध का काम भी चल रहा है। केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान केंद्र केरल से तीन साल के लिए शोध सहायता मिली है। गुंडाधुर कृषि कॉलेज के वैज्ञानिकों को मुताबिक सल्फी पेड़ को सुखा देने वाले कीट की पहचान फ्यूजोरियम आक्सीस्पोरम के रूप में हुई है। आदिवासी संस्कृति के आधार सल्फी पेड़ों को बचाने किसानों को जागरूक भी किया जाएगा। इसके लिए ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार की तैयारी भी की जा रही है।
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