नई दिल्ली। दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन भीम आर्मी ने रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की है। इस संगठन का कहना है कि रावण मानवतावादी संस्कृति का रक्षक था जिसके चलते बहुत से समुदाय के लोग उन्हें आराध्य देव मानते है।
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भीम आर्मी संगठन ने महाराष्ट्रा पुणे पुलिस को पत्र लिखकर रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। संगठन ये भी कहा है कि जो भी पुतला फूंकेंगे उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। भीम आर्मी के मुताबिक रावण मानवतावादी संस्कृति का प्रतीक था और कई आदिवासी समुदाय उसे अपने आराध्य अर्थात भगवान के रूप में पूजते हैं।
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भीम आर्मी ने पुणे पुलिस को लिखे गए अपने पत्र में कहा है कि रावण लंका काराजा था, जो इंसाफ और समानता पर विश्वाश करता था । लेकिन इतिहासकारों ने छेड़छाड़ करके रावण को खलनायक के तौर पर पेश कर दिया है । बताया जा रहा है कि भीम आर्मी के साथ ही साथ कई आदिवासियों ने भी रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की है। ज्ञात हो कि रावण महा पराक्रमी योद्धा , अत्यन्त बलशाली , शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता ,प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी था।जिसके चलते उन्हें आदिवासी समाज अपना इष्ट देव मानते हैं। इतना ही नहीं जब पूरा देश रावण दहन का पर्व मनाता है उस वक्त राजस्थान के ही जोधपुर में रावण के रिश्तेदार उसकी मौत का शोक मनाते हैं।और तो और ,जोधपुर में रावण का एक मात्र मंदिर भी बना हुआ है, जहां दवे समुदाय के लोग न सिर्फ रावण की ही पूजा करते हैं बल्कि श्राद्ध पक्ष के दौरान रावण के लिए तर्पण भी करते हैं।
वेब डेस्क IBC24
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