अन्धविश्वास या आस्था जहां हर साल लगता है भूतों का मेला | bhutto ka mela

अन्धविश्वास या आस्था जहां हर साल लगता है भूतों का मेला

अन्धविश्वास या आस्था जहां हर साल लगता है भूतों का मेला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:04 PM IST, Published Date : January 21, 2019/7:34 am IST

बैतूल -विज्ञान के इस आधुनिक युग में अगर कोई भूत-प्रेत या मायावी दुनियां की बात करें तो हसीं जरूर आती है। लेकिन यह भी सत्य है कि संसार में आज भी बहुत प्रेत और पिशाच रहस्य का विषय बना हुआ है | आज भी लोग आत्मा , भूत -प्रेतों के अस्तित्व को लेकर सकारात्मक सोच रखते है तो ऐसा मानने वालो की तादाद भी कम नहीं है जो इसे कोरी कपोल कल्पना मानते है |ऐसा ही कुछ आज हम आपके सामने लाने वाले हैं जहां हर साल भूतो का मेला लगता है। जहां हजारों लोग प्रेतबाधा से मुक्ति के लिए पहुंचते हैं |

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इस भौतिक युग में जंहा लोग अंधविश्वास को नही मानते है ऐसे में अगर हम आपसे से कहे कि इस देश में एक ऐसा भी स्थान है जंहा प्रति वर्ष भूतो का मेला लगता है तो आपको भी ताज्जुब होगा लेकिन यह सच है और यह भूतो का मेला बैतूल मे लगता है जंहा अच्छे अच्छे भूत भी मार के आगे भाग खड़े होते है। पौष माह की पूर्णिमा से शुरु होने वाले इस मेला मे लाखो की संख्या मे भूत आते है और जिन पर ये सवार होते है उनकी पिटाई और बालो को खींचने जैसी मानवीय प्रताड़ना के बाद उन्हें जाना पड़ता है | यही कुछ मानते है यहाँ के पुजारी |वे बताते है की कैसे मार के आगे भूत भागते है और समाधी के पास लगे बरगद के पेड़ पर अपना स्थान बना लेते है।

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जानकारों की माने तो यहॉँ पर जिन गुरु महाराज की समाधि है वो मेवाड़धिपति महाराणा प्रताप के वंशज थे जो की उदयपुर से यहां पर आये थे और वो राजपूत समाज के थे ये सबसे पहले मलाजपुर गाँव के पास जो कटकुही गाव है वहां पर आये थे। इस विषय में बीते तीन चार वर्षो से इस मेला समिति के अध्यक्ष रह रहे का कहना है की ये मेला तक़रीबन तीन- चार सौ वर्षो से संचालित हो रहा है यहां पर जो समाधि स्थल है वो देवजी नाम के संत का है इस स्थल पर मध्यप्रदेश के साथ साथ आंध्रप्रदेश,महाराष्ट्र,गुजरात राजस्थान प्रांत से लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है जिनमे हजारो की संख्या में प्रेत बाधा से ग्रसित लोग होते है जिनेह ख़ास तौर पर पूर्णिमा के दिन इन बाधाओ से मुक्ति मिलती है।