खरसिया की जंग | Blog:

खरसिया की जंग

खरसिया की जंग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 02:57 AM IST, Published Date : September 4, 2018/7:27 am IST

ऐसा कहा जाता है कि इतिहास खुद को दोहराता है..शायद ऐसा हो भी..बात छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की खरसिया सीट की हो रही है।ऐसा क्या है कि 30 साल बाद एक बार फिर से खरसिया चर्चा में है। वर्ष 1988 में एक बार खरसिया ने मध्यप्रदेश की राजनीतिक फिजां को बदल दिया था, खरसिया संघर्ष के 18 दिनों में ऐसा मंथन हुआ कि उस मंथन से कई हीरे निकले। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को प्रदेश की राजनीति में वापस पैर जमाने के लिए सुरक्षित सीट की तलाश थी ,ऐसे में खरसिया सीट से कांग्रेस के विधायक लक्ष्मी पटेल ने अपनी सीट से त्यागपत्र देकर अर्जुन सिंह के लिए रास्ता आसान करने की कोशिश की।कारण साफ था कि खरसिया खांटी कांग्रेसी सीट थी और मुख्यमंत्री जब खुद उपचुनाव लड़ रहे हों तो राजनीतिक वातावरण को समझा जा सकता है।मुख्यमंत्री भी कोई साधारण राजनेता नहीं स्वयं अर्जुन सिंह।

खैर बात खरसिया के संघर्ष से निकले हीरों की हो रही थी। डॉ.रमन सिंह के मुताबिक खरसिया उपचुनाव में उनकी ड्यूटी मुड़ीपार गांव में लगी थी,लेकिन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के विश्वस्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी जिसमें अपर मुख्य सचिव जैसे लोग खरसिया में डेरा डाले हुए थे,ऐसे में डॉ.रमन सिंह भाजपा की ओर से कमान सम्हाले हुए थे मुड़ीपार में। तब जिस पटेल के घर डॉ.रमन सिंह और उनकी टीम को आश्रय मिला हुआ था,उसने प्रशासनिक दबाब में घर खाली करने बोल दिया। डॉक्टर साहब और उनकी टीम ने बड़ के पेड़ के नीचे डेरा जमाया। गांवों वालों के बीच निशुल्क दवाएं,इंजेक्शन औऱ चेक अप करते हुए उनका विश्वास हासिल किया।

खरसिया चुनाव में सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि भाजपा ने जशपुर कुमार..दिलीप सिंह जूदेव ..पर दांव लगाया था,जो घर वापसी अभियान के कारण रायगढ़-जशपुर सहित छत्तीसगढ़ अंचल में काफी लोकप्रिय थे,खास तौर पर आदिवासियों के बीच। भाजपा की ओर से चुनाव की कमान पार्टी के अविभाजित मध्यप्रदेश के पितृपुरुष कहे जाने वाले लखीराम अग्रवाल के हाथों थी..खरसिया ,लखीराम जी का होम टाउन था,तो उनकी और पार्टी दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के मुताबिक जूदेव को लेकर लोगों में ऐसा क्रेज था कि लोग थाल सजाकर ,आरती उतारकर ,तिलक लगाकर उनका स्वागत करते थे। डॉ.रमन के लम्बे और आकर्षक होने के कारण लोग उन्हे भी …जूदेव..का भाई समझकर वैसा ही स्वागत करते थे।चुनाव बहुत कठिन था..तत्कालीन सरपंच और बाद में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय नंदकुमार पटेल ने जी जान लगा दी अर्जुन सिंह को जिताने में।हालांकि चुनाव में असली खेल प्रशासनिक ही हुआ जिसमें अर्जुन सिंह करीब 7 हजार वोटों से विजयी हुए ,वो भी तब जब मृतकों के नाम के वोट भी डाल दिए गए थे,भाजपा के कार्यकर्ता लगभग नजरबंद जैसी स्थिति में थे।

शायद ये ऐसा पहला चुनाव होगा जिसमें जीतने वाले उम्मीदवार का नहीं,हारने वाले जूदेव का जुलूस निकाला गया।

इसके पीछे भाजपा की सटीक और आक्रामक चुनाव रणनीति थी,जिसके रणनीतिकार स्व.लखीराम अग्रवाल थे,लेकिन ..जूदेव ..के आकर्षण ने भाजपा को नया नायक दे दिया।

जानकारों के अनुसार खरसिया के चुनाव में जूदेव की छवि से प्रभावित होकर राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी ने उन्हे पूरे मध्यप्रदेश में प्रचार अभियान में लगाने का निर्णय लिया ।

ये तो बात हुई ..जूदेव ..की,लेकिन सबसे खास बात ये रही कि इस चुनाव में भाजपा की ओर से जो नेता और कार्यकर्ता अलग-अलग जगह तैनात थे,उनमें से 23 लोग 1990 में विधायक चुनकर आए।

तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को नाको चबे चबाने के लिए मजबूर कर दिया था स्व.लखीराम अग्रवाल ने। जब अर्जुन सिंह ने पता करवाया कि जो व्यक्ति भाजपा को आर्थिक मदद कर रहा है उसका तेंदूपत्ते का कारोबार है,तब अर्जुन सिंह ने लखीराम जी के आर्थिक हितों पर चोट करने के लिए तेंदूपत्ते के काम का राष्ट्रीयकरण करने का निर्णय लिया।इस तरह खरसिया ने इतिहास रच दिया।

लेकिन 30 साल बाद एक बार फिर खरसिया में कुछ बहुत बड़ा होने जा रहा है,क्योंकि जिस सीट को भाजपा कभी नहीं जीत पायी,उसके लिए एक युवा आई ए एस  अपनी नौकरी छोड़कर सामने आया है,जो उसी अघरिया समाज से है,जिस समाज से उमेश पटेल हैं और 1990 से लगातार जीत रहे पटेल परिवार के लिए चुनौती बड़ी हो गयी है। अब भाजपा सत्ता में है और कांग्रेस विपक्ष में…योग्यता और जातीय समीकरण में भाजपा का पलड़ा भारी हो सकता है,लेकिन पटेल परिवार का जुड़ाव भी एक फैक्टर है।खरसिया के 30 प्रतिशत आदिवासी किसके साथ जाते हैं,ये देखना बहुत दिलचस्प हो गया है।ओ पी चौधरी ने जिस धमाके के साथ खरसिया के बायंग में मिट्टी को माथे पर लगाकर धूमकेतु की तरह एंट्री की है,उससे कांग्रेस में सिरहन पैदा हो गयी है।

शिरीष मिश्रा 

 

इनपुट  एडिटर,IBC24