शिक्षाकर्मियों ने मांगा संविलियन का पृथक मॉडल, मप्र-राजस्थान के नियम राज्य के लिए फिट नहीं | CG Shikshakarmi:

शिक्षाकर्मियों ने मांगा संविलियन का पृथक मॉडल, मप्र-राजस्थान के नियम राज्य के लिए फिट नहीं

शिक्षाकर्मियों ने मांगा संविलियन का पृथक मॉडल, मप्र-राजस्थान के नियम राज्य के लिए फिट नहीं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : April 29, 2018/9:47 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों ने संविलियन का अपना मॉडल मांगा है। उनका कहना है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान के नियम कानून अपनी व्यवस्था के मुताबिक बनाए गए हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ में यहां की स्थिति परिस्थितियों के अनुसार कोई फैसला लिया जाना चाहिए। ताकि एक लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों के संविलियन का मार्ग प्रशस्त हो सके। 

शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा कि समस्त एक लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों के सम्पूर्ण संविलियन का रास्ता साफ होना चाहिए। जिससे राज्य में 1994-95 से लागू दोहरी व भेदभावपूर्ण  व्यवस्था का अंत हो सके। राज्य की शिक्षा व्यवस्था में कार्यरत लोगों की सेवा श्रेणी, स्तर वेतनमान, पदोन्नति ,क्रमोन्नति स्थानांतरण, अनुकंपा, सेवानिवृत्ति लाभ, प्रशिक्षण आदि सभी मामलों में एकरूपता स्थापित रहे। 

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उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मियों केसंविलियन के लिए किसी अन्य राज्य के मॉडल को अपनाने के बजाए यहां के परिपेक्ष्य में गुण दोष के आधार पर समीक्षा की जाए। अन्य राज्य के मॉडल के ऊपर आश्रित होकर संपूर्ण संविलियन के मार्ग में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो राज्य में संविलियन के लिए अपना स्वयं मॉडल बनाया जाए। इसके लिए राज्य की विधानसभा, सरकार तथा प्रशासनिक व्यवस्था सक्षम तथा अधिकार सम्पन्न भी है। राज्य की वित्तीय स्थिति भी इस के अनुरूप है।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में संविलियन की घोषणा हुई है किंतु अब तक संविलियन की नीति तथा प्रक्रिया का कोई भी मसौदा सामने नहीं आया है। अतः मध्यप्रदेश के संविलियन के आधार पर फिलहाल छत्तीसगढ़ में कोई निर्णय लेना बेमानी होगा। इसी तरह राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को प्रारंभिक शिक्षा तथा माध्यमिक शिक्षा दो भागों में रखा गया है। 

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प्रारंभिक शिक्षा एक से आठवीं का संपूर्ण दायित्व और नियंत्रण  प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय के अधीन है तथा कर्मचारी जिला परिषद (जिला पंचायत) के हैं,  जबकि माध्यमिक शिक्षा 9 वीं से 12वीं स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन है जिसके अंतर्गत शासकीय कर्मचारी  कार्यरत है। राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में कार्यरत कुल कर्मचारियों में से लगभग 70 प्रतिशत कर्मचारी जिला परिषद (पंचायत) में जबकि 30 फीसदी कर्मचारी शासकीय (शिक्षा विभाग)में है ।

हालांकि 70 प्रतिशत जिला परिषद के शिक्षकों की सेवाशर्तें तथा वेतनमान बेहतर है।  

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प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत स्नातक तथा बीएड प्रशिक्षित कर्मचारियों को पदोन्नति मिलने पर माध्यमिक शाला  9 वीं से 10 वीं के शिक्षक के रूप में शिक्षा विभाग में जाकर शासकीय कर्मचारी बनने का सीमित अवसर है, लेकिन प्रारंभिक शिक्षा (एक से पांच)  के गैर स्नातक तथा गैर बीएड शिक्षकों के शासकीय कर्मचारी के रूप में संविलियन का कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार को यहां के लिए एक पृथक मॉडल बनाना चाहिए। शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रांतीय उप संचालक जितेन्द्र शर्मा ने समस्त संगठनों से अपील की है कि केवल और केवल सम्पूर्ण संविलियन के लिए पूरा जोर लगाते हुए संविलियन का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

वेब डेस्क, IBC24

 
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