चंद्रयान-2 : 'नर हो न निराश करो मन को' क्योंकि इसरो ने दी है एक गुड न्यूज...देखिए | Chandrayaan-2: 'Do not disappoint the man' because ISRO has given a good news ... Watch

चंद्रयान-2 : ‘नर हो न निराश करो मन को’ क्योंकि इसरो ने दी है एक गुड न्यूज…देखिए

चंद्रयान-2 : 'नर हो न निराश करो मन को' क्योंकि इसरो ने दी है एक गुड न्यूज...देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : September 8, 2019/7:01 am IST

नई दिल्ली। मानव जाति अपने कर्तव्य के लिए जानी जाती है, इसरो ने अपना कर्तव्य किया है, उसका प्रयास सार्थक ही है, चांद पर चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग से ऐन पहले लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद देशभर के लोग निराश हैं। इसरो ने शनिवार शाम अपने ताजा अपडेट में गुड न्यूज दी है। ISRO ने बयान जारी कर बताया है कि मिशन अपने ज्यादातर उद्देश्यों में कामयाब रहा है। आगामी 14 दिनों तक फिर से संपर्क करने की कोशिश जारी रहेगी।

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ISRO ने बताया कि ऑर्बिटर पहले ही चांद की कक्षा में स्थापित हो चुका है और वह चांद की विकास यात्रा, सतह की संरचना, खनिज और पानी की उपलब्धता आदि के बारे में हमारी समझ को और बेहतर बनाने में मदद करेगा। यह करीब 7 सालों तक ऑपरेशनल रहेगा और इस दौरान चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने में मदद करेगा। पहले कहा जा रहा था कि ऑर्बिटर केवल एक साल तक ही काम करेगा। इसरो अपने मिशन की सफलता को लेकर आश्वस्त है और चीफ के. सिवन ने भी बताया है कि चंद्रयान-2 को करीब 100% सफल माना जा सकता है।

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इसरो ने बताया कि ऑर्बिटर अपने 8 अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए चांद अपने वर्तमान स्वरूप में कैसे आया, वहां कौन-कौन से खनिज हो सकते हैं, पानी की गुंजाइश कितनी है आदि सवालों का जवाब देने में मददगार होगा। इसरो ने बताया कि ऑर्बिटर का कैमरा किसी भी मून मिशन में इस्तेमाल हुए कैमरों में सबसे ज्यादा रेजॉलूशन (0.3m) वाला है। इस वजह से वह हाई रेजॉलूशन तस्वीरें भेजेगा जो दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए काफी उपयोगी साबित होंगी।

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इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन अभी तक अपने 90 से 95 प्रतिशत उद्देश्यों में कामयाब रहा है। लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद चंद्रयान-2 अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान देना जारी रखेगा। चंद्रयान-2 मिशन बेहद जटिल था। लॉन्च के बाद से ही न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया चंद्रयान-2 के हर एक चरण से अगले चरण तक की यात्रा को बहुत ही उम्मीदों और रोमांच के साथ देख रही थी। यह एक अनोखा मिशन था जिसका उद्देश्य चांद के सिर्फ किसी एक हिस्से का नहीं, बल्कि सभी इलाकों का अध्ययन करना था।

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