बेबस प्रवासी श्रमिकों का संबल बनी छत्तीसगढ़ सरकार, सैकड़ों बसें श्रमिकों को निशुल्क ले जा रही उनके गांव | Chhattisgarh government becomes the backbone of helpless migrant workers

बेबस प्रवासी श्रमिकों का संबल बनी छत्तीसगढ़ सरकार, सैकड़ों बसें श्रमिकों को निशुल्क ले जा रही उनके गांव

बेबस प्रवासी श्रमिकों का संबल बनी छत्तीसगढ़ सरकार, सैकड़ों बसें श्रमिकों को निशुल्क ले जा रही उनके गांव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : May 17, 2020/3:16 am IST

रायपुर। बेबस प्रवासी श्रमिकों के चाय, नास्ता, भोजन और परिवहन की व्यवस्था कर छत्तीसगढ़ सरकार ने काफी हद तक उनके दुःख दर्द पर मरहम लगाने का काम किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सभी राज्यों के प्रवासी श्रमिक जो छत्तीसगढ़ राज्य से होकर गुजर रहे हैं उनके भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण एवं परिवहन की निशुल्क व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार ने सुनिश्चित की है। प्रदेश सरकार की इस मुहिम में रायपुर के स्वयं सेवी, समाज सेवी संस्थाएं भी बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभा रही है।

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रायपुर के टाटीबंध में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना के विभिन्न जिलों में काम करने वाले बिहार, झारखण्ड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों के प्रवासी मजदूर हजारों की संख्या में रोजाना विभिन्न साधनों से पहुंच रहे हैं। इन राज्यों के श्रमिकों को राज्य की सीमा तक सकुशल पहुंचाने की व्यवस्था राज्य सरकार ने अपने जिम्मे उठा रखी है। अन्य राज्यों से आने वाले छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को भी उनके गृह जिले में भेजने की व्यवस्था की गई है।

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प्रवासी श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच पड़ताल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा टाटीबंध में स्टॉल लगाया गया है। जिला प्रशासन रायपुर की ओर से स्मार्ट सिटी के बैनर तले श्रमिकों को भोजन, नास्ता एवं पेयजल का निःशुल्क प्रबंध किया गया है। प्रवासी श्रमिकों की मदद में रायपुर के कई स्वयंसेवी, समाजसेवी संगठन के पदाधिकारी भी जुटे हुए हैं। टाटीबंध गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी भी इस पुनीत कार्य में जी-जान से जुटी हुई है। गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन का प्रबंध किया गया है। समर्थ चेरिटेबल ट्रस्ट व्ही द पीपुल और नुकड्ड द कैफे, मदर्स केयर वुमेन्स एण्ड चिल्ड्रन वेलफेयर सोसायटी सहित अनेक संगठन के कार्यकर्ता भी प्रवासी श्रमिकों की सेवा में जुटे हैं।

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टाटीबंध में पहुंचने वाले श्रमिकों को उनके राज्य एवं गृह जिला भेजने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा परिवहन संघ के सहयोग से बड़ी संख्या में बसों की व्यवस्था की गई है, जो श्रमिकों को लगातार उनके गृह जिला एवं राज्यों की सीमा तक पहुंचा रही है। पुणे, हैदराबाद से ट्रकों में जैसे-तैसे सफर कर रायपुर पहुंचने वाले श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ सरकार एवं सामाजिक संगठनों द्वारा टाटीबंध में की गई निःशुल्क भोजन की व्यवस्था को सराहा और कहा कि दो-तीन चरणों में दो-तीन दिनों के कष्टकारी सफर के बाद रायपुर पहुंचकर उन्हें राहत मिली है। यहां की व्यवस्था को देखकर मन का भय दूर हो गया है। श्रमिकों का कहना है कि अब अपने गांव और गृह राज्य पहुंच जाने की चिंता लगभग खत्म सी हो गई है।

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झारखण्ड राज्य के पश्चिमी सिंहभूम जिले के ग्राम आसूरा के रहने वाले आनंद गोप और काटे कुम्भकार ने बताया कि वह दोनों अपने गांव के 5 अन्य साथियों के साथ महाराष्ट्र के नागपुर में टावर लाईन का एंगल बनाने का काम करते थे। लॉकडाउन के चलते ट्रक में लिफ्ट लेकर आज बागनदी बॉर्डर पहुंचे। वहां से बस से रायपुर टाटीबंध पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि बाग नदी से रायपुर लाने के लिए बस का इंतजाम भी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किया गया था। रायपुर से झारखण्ड जाने के लिए बंस का इंतजाम भी छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है। टाटीबंध से झारखण्ड के गढ़वा के लिए भी श्रमिकों को ले जाने का प्रबंध शासन द्वारा किया गया है।