राज्य के ग्रामीण और नक्सली क्षेत्रों में मोबाइल टावर लगाने के लिए सरकार ग्राम पंचायतों से चैदहवां वित्त आयोग का पैसा वापस मांग रही है। जिसका भारी विरोध शुरू हो गया है। सरपंच संघ का कहना है कि केन्द्र सरकार पंचायतों में मूलभूत समस्याओं के निराकरण के लिए यह राशि सीधे पंचायतों के खाते में भेजती है। जिसे खर्च करने का अधिकार सिर्फ ग्राम पंचायतों को है। संघ का कहना है कि इसी राशि के आधार पर पंचायतों में विकास कार्य हो रहे है। अगर चैदहवें वित्त आयोग की 70 प्रतिशत राशि सरकार को देते है। तो काम अधूरा रह जाएगा।
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वही कांग्रेस का कहना है कि सरकार आयोग की राशि को दूसरे काम में उपयोग कर नियम विरूद्ध काम कर रही है। पिछले साल भी सरकार ने वित्त आयोग की राशि से स्वच्छता के नाम पर खर्च किए थे। इतना ही नहीं जब प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ आए थे तब भी वित्त आयोग की राशि का दुरुपयोग किया गया था। कांग्रेस ने सरकार से आग्रह किया है कि मोबाइल टावर चैदहवें वित्त आयोग की राशि के बजाय शराब से प्राप्त राशि से लगवाए।
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वही पूरे मामले पर पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर का कहना है कि चैदहवें वित्त आयोग की राशि से नेट कनेक्टिविटी करने का निर्णय कैबिनेट में लिया गया है। जो कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंत्री ने यह भी कहा कि पंचायतों के कार्यों के लिए सरकार कई मदों से पैसा देती है। बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टावर लगाने के लिए सरकार चैदहवें वित्त आयोग की लगभग 600 करोड़ रुपए की राशि ग्राम पंचायतों से ले रही है। जिला प्रशासन इस राशि के लिए सभी पंचायतों को पत्र भेजा है कि चैदहवें वित्त आयोग की 70 प्रतिशत राशि CHIPS-CG SKY के अकाउंट नंबर में जमा करें।
वेब डेस्क, IBC24
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